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पत्र लिखाः नोएडा शहर के विकास के लिए कोनरवा ने दिए कई सुझाव

नोएडा विकास प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी को बेहतर करने के लिए बधाई भी दी

नोएडा। कोनरवा ने नोएडा विकास प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रितु माहेश्वरी को आज बृहस्पतिवार को पत्र देकर नोएडा महानगर के विकास के लिए कई सुझाव दिए हैं। पत्र के जरिये ही नोएडा शहर के विकास के लिए सीईओ द्वारा किए गए कार्यों की सराहना भी की गई है।

कोनरवा के संयोजक और अध्यक्ष ब्रि.अशोक हाक और  पीएस जैन द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि नोएड़ा उत्तर प्रदेश का आर्दश शहर है। यहॉ पर इन्फ्रास्ट्रेक्चर का विकास प्राधिकरण द्वारा काफी अच्छा किया गया है। आपके आने के बाद इन्फ्रास्ट्रेक्चर का विकास और अधिक तीव्र गति से हुआ है। इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं।

योजनाओं को पूरा करने में हो रहा विलंब

पत्र में कहा गया है कि सभी योजनाएं शीघ्रता से पूरी भी की गई है। लेकिन कुछ योजनाओं को पूरा करने में काफी विलंब हो रहा है। इससे आवागमन में लोगों को काफी परेशानी हो रही है। विलंब के कारण प्राधिकरण का खर्च भी बढ़ गया होगा।

पांच या दस वर्षीय योजना बनाने का सुझाव

पत्र में   शहर के विकास एवम् रखरखाव की कोई निश्चित योजना, आगामी 5 या 10 वर्ष की अभी तक नही बनाई गई है। कौन से कार्य को समय प्रणाली के अनुसार कब शुरू करना है तथा कब समाप्त करना है। उसका स्थाई रिकार्ड/प्रारूप प्राधिकरण द्वारा नहीं बनाया गया है।

दिए गए उदाहरण

शहर के बड़़े नालो की सफाई

पत्र में कहा गया है कि शहर के बड़े नालों की सफाई प्रत्येक वर्ष विलंब से शुरू होती है तथा बरसात शुरू होने के बाद भी 50 प्रतिशत कार्य शेष रह जाता है जबकि ठेका पूरा कार्य को समय से करने के लिए दिया जाता है। बरसात के समय में की गई सफाई से जो कचरा निकाला जाता है। वह बरसात में पुनः नालों व नालियों में चला जाता है। इस प्रकार केवल धन की बरबादी होती है। इसके लिए दूरगामी योजना स्थाई रूप से बनाई जाए जिसमें नालों की मरम्मत अन्दर व बाहर से, नालों की बाउन्डरी वाल की मरम्मत, नालो के अन्दर ढलान व नालो के ऊपर से कुड़ा नालो में न गिरे इसके लिए योजना बनाई जानी चाहिए, जिससे प्रति वर्ष यह समस्या न खड़ी हो।

भूगर्भ से जल की उपल्बधता

पत्र में   कोनरवा ने काफी समय से यह मांग कर रही है कि भूमि का जलस्तर दिन-प्रति दिन कम हो रहा है। इसके लिए वाटर हार्वेस्टिंग की दूरगामी योजना बनाकर सुचारू व क्रियान्वित करवाई जानी चाहिए। इसके लिए संस्था का सुझाव है कि सभी सरकारी प्रतिष्ठानों, प्रशासनिक कार्यालयों, कारपोरेट औफिस, आईटी आफिस, कम्यूनिटी सेन्टर, मैरिज होम, सरकारी बंगले, कॉलेज, स्कूल, विश्वविद्यालय, हाउसिंग सोसाइटियां, माल, पार्क, स्टेड़ियम, बस टर्मिनल, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट आदि में क्षेत्रफल के अनुसार वाटर हार्वेस्टिंग कराए जाने चाहिए। इसे कराना सीधे तौर पर सरकारी औ प्रशासनिक अधिकारियों के हाथ में है। इससे काफी वाटर हार्वेस्टिंग होगा तथा भूजल का स्तर बढ़ जाएगा। लगातार कार्य के लिए ठेकेदार को ही 5 वर्ष का ठेका भी दिया जाना चाहिए जिससे आगामी 5 वर्षो तक सही काम करने के कारण आने वाले समय में भूजल के स्तर में अभूतपूर्व सुधार होगा।

पत्र में विश्वास व्यक्त किया गया है कि शहर में इन्फ्रास्ट्रेक्चर के सुधार के संबंध में कोनरवा के सुझावों को संज्ञान लेकर नियम बनाए जाएंगे और उनका अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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