पब में युवक से मारपीट, हत्या से पुलिस पर उठे सवाल
नोएडा : मेट्रो सिटी के एक पब में बाउंसरों ने एक युवक को बुरी तरह से पीट-पीटकर गंभीर रूप से घायल कर दिया। युवक के साथियों ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया जहां उसकी मौत हो गई। यह घटना नोएडा के गार्डन्स गैलेरिया मॉल में लॉस्ट लेमंस पब में घटी। पब के स्टाफ के साथ युवक और उसके साथियों में झगड़ा हुआ। इसमें दोनों पक्षों में मारपीट हुई। शव की पहचान ब्रजेश राय के रूप में हुई है। वह करीब 30 साल का था और मूल रूप से बिहार का निवासी था। वह यहां सेक्टर 76 में रह रहा था। वह अपने साथियों के साथ पब में पार्टी के लिए गया था। पुलिस ने बार के कर्मचारियों और बाउंसर समेत 16 लोग को हिरासत में लिया है। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज अपने कब्जे में तो ले ही लिया है। उसने ब्रजेश के मित्रों के बयान भी दर्ज किए हैं। पुलिस के अतिरिक्त उप आयुक्त रणविजय सिंह ने कहा है कि घटना में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। जबर्दस्त कार्रवाई होगी।
पब, माल सहित अन्य स्थानों पर बाउसंर इसलिए तैनात किए जाते हैं कि वह भीड़ को नियंत्रित करे और यदि कोई व्यक्ति अधिक नशे में हो गया है तो उसे सुरक्षित रूप से बाहर कर उसे घर भिजवाए। यदि कोई हंगामा, मारपीट, झगड़ा और पब का नुकसान कर रहा हो तो इसकी सूचना प्रबंधन और पुलिस को देना होता है। लेकिन यहां हुआ इसका उल्टा ही। बाउंसर पुलिस को झगड़े की सूचना न देकर खुद मारपीट में शामिल हो गए। परिणाम यह हुआ कि एक युवक को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
पब या बार चलाने के कुछ नियम होते हैं। ये नियम लाइसेंस देते समय ही तय कर दिए जात हैं। नोएडा जैसे शहर में कई पब चल रहे हैं। जिस थाना क्षेत्र में पब होता है उस थाने की जिम्मेदारी होती है कि वह इस तथ्य की जांच करे कि पब नियमानुसार चल रहा है की नहीं। यदि नियम के अनुसार नहीं चल रहा है तो पुलिस की यह जिम्मेदारी होती है कि वह उसे बंद करा दे और चलने ही नहीं दे। प्रायः होता यह है कि पब तो खुल गया लेकिन उसकी जांच शायद ही होती है। पुलिस तब जागती है जब कोई दुर्घटना घट जाती है। लॉस्ट लेमंस पब के मामले में पुलिस के अतिरिक्त उप आयुक्त रणविजय सिंह कहते हैं कि
अभी तक पब के भीतर हत्या का सबूत नहीं मिला है। बार में मारपीट हुई थी, इसके बाद घायल को लेकर अस्पताल ले गए। अगर पब नियमानुसार नहीं चल रहा था तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। पुलिस ने पब को सील कर दिया है।
अब यहां सवाल उठता है कि हत्या की वारदात होने के बाद पुलिस के उच्च अधिकारी कह रहे हैं कि पब नियमानुसार नहीं चल रहा है तो कार्रवाई होगी। पुलिस अधिकारी के इस बयान से यह साफ हो जाता है कि इसके पहले पब की जांच नहीं हुई थी और जब युवक की मौत जैसी घटना घट गई तो पुलिस अब पब की जांच करने की बात कह रही है कि वह नियमानुसार नहीं चल रहा है तो कार्रवाई होगी।
पब जैसे संवेदनशील (जहां मारपीट, झगड़े की आशंका हर समय रहती है।) स्थान पर बाउंसर और अन्य कर्मचारी रखते समय कर्मचारी का बैकग्राउंड भी देखा जाना चाहिए कि उसका कई आपराधिक इतिहास तो नहीं है। वह किसी अपराध में संलिप्त तो नहीं रहा है। उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या है। इसकी भी छानबीन शायद ही होता हो। छानबीन तब होती है जब कोई घटना दुर्घटना घट जाती है।
नोएडा और इसके जैसे शहरों में बहुत तेजी से व्यावसायिक कांपलेक्स, बहुमंजिले आवासीय भवन आदि तेजी से विकसित होते जा रहे हैं। नियमानुसार ऐसे स्थान बनाते समय विभिन्न विभागों से एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) लेने का प्राविधान है। ऐसे भवनों के निर्माण में सुरक्षा के मानक तय हैं। इसकी भी जांच करने की जिम्मेदारी संबंधित विभागों की होती है। इन मामलों में पुलिस की बहुत अधिक जिम्मेदारी होती है। मामला अंततः पुलिस के पास ही आता है। लेकिन आमतौर पर संबंधित विभागों के अधिकारी इन मामलों में लापरवाही बरतते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि दुर्घटना घट जाती है। तब संबंधित सारे विभागों के अधिकारी अचानक सक्रिय हो जाते हैं। उनकी सक्रियता कुछ दिन तो बनी रहती है। बाद मामला जैसे-जैसे शांत हो जाता है वैसे-वैसे वे भी शांत होते जाते हैं।