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डेढ़ लाख पारम्परिक कारीगरों ने स्थापित किया खुद का रोजगार

विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के तहत दी सुविधाओं का लोगों ने उठाया लाभ

लखनऊ। प्रदेश के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के पारम्परिक कारीगरों ने ’’विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’’ के तहत दी गई सुविधाओं का लाभ उठाकर एक लाख 43 हजार 412 लोगों ने अपना खुद का रोजगार स्थापित कर लिया है। इन पारम्परिक कारीगरों में बढ़ई, दर्जी, टोकरी बुनकर, नाई, सुनार, लोहार, कुम्हार, हलवाई, मोची, राजमिस्त्री एवं हस्तशिल्पी शामिल किए गए हैं। इनकी आजीविका के साधनों का सुदृढ़ीकरण करने, विकास, हस्तशिल्प की कला को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के प्राथमिकताओं में से एक ’’विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’’ 26 दिसंबर 2018 से चलाई जा रही है। इस योजना के अन्तर्गत कारीगरों को छोटे उद्योग स्थापित करने के लिए 10 हजार से लेकर 10 लाख रूपये तक ऋण एवं आर्थिक सहायता राज्य सरकार देती है। मुख्यमंत्री द्वारा राज्य के मजदूरों एवं कारीगरों के विकास और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए यह योजना चलाई गई है।

इस योजना के अंतर्गत आच्छादित पारम्परिक कारीगरों एवं दस्तकारों को उद्यम के आधार पर एक साप्ताहिक कौशल वृद्धि के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण कार्यक्रम निःशुल्क एवं आवासीय है। प्रशिक्षण अवधि में प्रशिक्षुओं को श्रम विभाग द्वारा जारी अर्धकुशल श्रमिक के मजदूरी के आधार पर मानदेय भी दिया जाता है। वर्तमान में 250 रुपये प्रति प्रशिक्षणार्थी प्रतिदिन के अनुसार मानदेय दिया जाता है। कौशल वृद्धि प्रशिक्षण कार्यक्रम के बाद प्रशिक्षणार्थियों को उन्नत किस्म के टूलकिट दिया जाता है। इस व्यवस्था के अंतर्गत प्रशिक्षण एवं टूलकिट प्राप्त कर चुके लाभार्थियों में से ऋण सुविधा हेतु इच्छुक लाभार्थियों को प्रधानमंत्री मुद्रा योजनान्तर्गत ऋण उपलब्ध कराया जाता है। अब तक इस योजनान्तर्गत लगभग 66 हजार 300 लाभार्थियों को रू0 372 करोड़ मुद्रा योजना के अंतर्गत प्रदेश के विभिन्न बैकों को आवेदन प्रेषित कर ऋण उपलब्ध कराए जा चुके हैं।

विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजनान्तर्गत आवेदक की उम्र 18 वर्ष होनी चाहिए। उत्तर प्रदेश का निवासी होना चाहिए। पिछले वर्षों में आवेदक द्वारा सरकार से टूलकिट्स योजना संबंधी कोई लाभ प्राप्त न किया हो। पात्रता के लिए जाति एक मात्र आधार नहीं होगा, कोई भी इच्छुक व्यक्ति आवेदन कर सकता है। आवेदन करने के लिए विभागीय बेवसाइट पर ऑनलाइन फार्म भरना होता है। जिसमें आधार कार्ड, पहचान पत्र, निवास प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, बैंक खाता नंबर, फोटो आदि अभिलेख संलग्न करना पड़ता है।

प्रदेश में विभिन्न ट्रेडस में प्रशिक्षण प्राप्त कर लाभार्थियों ने अपना स्वरोजगार स्थापित कर लिया है। उनकी आर्थिक प्रगति हो रही है। ऐसे लाभार्थी अन्य लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं। प्रदेश में सरकार ने वर्ष 2021-22 तक बढ़ई ट्रेड के अंतर्गत 18040, दर्जी ट्रेड के अंतर्गत 42471, टोकरी बुनकर ट्रेड के अंतर्गत 5975, नाई ट्रेड के अंतर्गत 13135, सुनार ट्रेड के अंतर्गत 5910, लोहार ट्रेड के अंतर्गत 11164, कुम्हार ट्रेड के अंतर्गत 8222, हलवाई ट्रेड के अंतर्गत 21090, मोची ट्रेड के अंतर्गत 5824, राजमिस्त्री ट्रेड के अंतर्गत 10811, हस्तशिल्पी ट्रेड के अंतर्गत 770 लोगों को प्रशिक्षण देते हुए टूलकिट्स वितरण व ऋण सुविधा उपलब्ध कराई गई है।

इस प्रकार अब तक विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजनान्तर्गत प्रदेश के विभिन्न ट्रेडों में कुल 143412 लाभार्थियों को लाभान्वित कराकर उन्नत किस्म के टूलकिट प्रदान करते हुए रोजगार से लगाकर आत्मनिर्भर बनाया गया है।

 

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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