फेडरल भारत की सार्थक पहल : पारस टिएरा सोसाइटी में न्याय संहिता पर संगोष्ठी, बोले पूर्व डीजीपी आम लोगों के हित में बने नए कानून
नोएडा: तेजी से बढ़ते समाचार पोर्टल फेडरल भारत के जनजागरुकता अभियान के अंतर्गत सेक्टर 137 की प्रतिष्ठित हाउसिंग सोसाइटी पारस टियरा के कम्युनिटी सेंटर में हाल में देश में लागू किए गए ऐतिहासिक तीन कानूनों भारत न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम पर संगोष्ठी आयोजित की गई। इसमें मुख्य अतिथि के तौर पर गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक एवं नागरिक हितों के लिए काम करने वाली संस्था सिटीजन सेतु फाउंडेशन के निदेशक अनिल प्रथम और सुप्रीम कोर्ट के वकील अनुपम सिन्हा ने तीनों नए कानूनों में किए गए प्रविधानों के संबंध में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि इस पुलिस में भी सुधार होगा और पुलिस अधिकारी समयबद्ध न्याय सुलभ कराने के लिए जबावदेही बनेंगे।
नए कानूनों ने बढ़ेगी पुलिस की जवाबदेही
पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अनिल प्रथम ने कहा पुराने कानूनों को हटाकर नए कानूनों में किए गए बदलाव आम नागरिकों के लिए काफी लाभप्रद होंगे और इससे लोगों को त्वरित न्याय मिलने का रास्ता काफी आसान हो जाएगा। उन्होंने कहा कि पहले इंडियन पैनल कोड कहा जाता है, जिसे बदलकर भारत न्याय संहिता किया है। इससे सरकार की मंशा स्पष्ट है कि वह दंड के स्थान पर न्याय को अधिक महत्व देती है। उन्होंने इस जागरूकता कार्यक्रम के लिए फेडरल भारत के मुख्य संपादक आशीष गुप्ता की पहल का स्वागत करते हुए कहा कि आम लोगों को आमतौर पर कानूनों की जटिलाताओं के संबंध में अधिक जानकारी नहीं होती है। लेकिन इस तरह के कार्यक्रमों के माध्यम से लोग अपने अधिकारों के बारे में जानकारी हासिल कर सकेंगे। अनिल प्रथम ने कुछ रेजीडेंट के सवालों को भी लिया और उनके विस्तार से उत्तर दिए। उन्होंने कहा कि पुलिस का अर्थ अधिकार नहीं सर्विस है।
त्वरित न्याय दिलाना ही प्रमुख उद्देश्य
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अनुपम सिन्हा ने अपने संबोधन में कहा कि तीनों नई संहिताएं आम लोगों के हितों और त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए उद्देश्य को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी खूबसूरती है कि हमारे कानूनवेत्ताओं ने चेक एंड बैलेंस की व्यवस्था की गई है। अनुपम सिन्हा ने कहा कि कानून में कितने भी बदलाव किए जाएं, लेकिन जब तक लोगों को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं है, तो किसी भी बदलाव का कोई प्रभाव नहीं पडेगा। इसलिए सर्वप्रथम जरूरी है कि लोगों को अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अनुपम सिन्हा ने तीनों कानून भारत न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में किए गए बदलावों, संशोधनों के संबंध में काफी विस्तारपूर्वक बताया। कानूनों को लेकर उन्होंने रेजीडेंट्स के प्रश्नों के उत्तर देकर उन्हें संतुष्ट करने का प्रयास किया।
पारस टिएरा अपार्टमेंट्स एसोसिएशन ने किया स्वागत
इस कार्यक्रम की शुरुआत पारस टिएरा अपार्टमेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कर्नल (सेवानिवृत) रमेश गौतम ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कानूनों के बारे में जानकारी देने की इस पहल का अभिनंदन किया। उन्होंने एसोसिएशन की ओर से विशेष रूप से फेडरल भारत के मुख्य संपादक आशीष गुप्ता का आभार व्यक्त किया। संचालन एसएस राणा ने किया। इस मौके पर अतिथियों को प्रतीक चिह्न के तौर पर पौधे भेंट करके पर्यावरण के प्रति संदेश दिया। अंत में सफल आयोजन के लिए एसोसिएशन के उपाध्यक्ष आनंदपाल चौहान ने सभी का आभार व्यक्त किया। इससे पहले कार्यकारिणी सदस्य संगीता तलुजा, विकास सालार, आदित्य देव,जोगिन्दर सिंह आदि ने अतिथियों का पुष्प गुच्छ भेंट करके स्वागत किया।