नागपुर में हिंसा: अफवाह से भड़की आग, जानिए पूरी कहानी !

नागपुर में सोमवार को भड़की हिंसा की जड़ में एक अफवाह थी। खबर फैली कि कुछ लोगों ने एक धार्मिक ग्रंथ को जला दिया है। यह अफवाह उस समय उड़ी जब दक्षिणपंथी समूह औरंगजेब के मकबरे को हटाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। देखते ही देखते हालात बिगड़ गए और दो समुदायों के लोग आमने-सामने आ गए।
कैसे भड़की हिंसा?
1. अफवाह का असर: धार्मिक किताब जलाने की अफवाह फैलते ही माहौल गर्म हो गया
2. प्रदर्शन का मुद्दा: दक्षिणपंथी संगठन औरंगजेब के मकबरे को हटाने की मांग कर रहे थे।
3. झड़प और आगजनी: प्रदर्शन के दौरान तनाव बढ़ा और कई गाड़ियां फूंक दी गईं।
4. पुलिस की कार्रवाई: हालात काबू में करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस का सहारा लेना पड़ा।
अफवाहों ने बढ़ाया तनाव
नागपुर में सोमवार को भड़की हिंसा की असली वजह अफवाहें थीं। संभाजी नगर में एक दक्षिणपंथी संगठन ने मुगल शासक औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। इसी दौरान यह अफवाह फैल गई कि वहां कुरान को जलाया गया है
यह प्रदर्शन विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल जैसे संगठनों द्वारा आयोजित किया गया था। कहा जा रहा है कि उन्होंने कथित रूप से ‘कलमा’ लिखा हुआ कपड़ा जलाया, जिससे मुस्लिम समुदाय में आक्रोश फैल गया। देखते ही देखते तनाव बढ़ गया और मध्य नागपुर में माहौल बिगड़ गया।
नागपुर के महल इलाके में धारा 144 लागू
नागपुर में पथराव और आगजनी के बाद हालात काबू से बाहर होने लगे, जिसके चलते पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा और आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस कमिश्नर रविंद्र सिंगल ने महल इलाके में धारा 144 लागू करने का आदेश दिया।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस हिंसा को गंभीरता से लेते हुए पुलिस आयुक्त को सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। धारा 144 के तहत अब उस क्षेत्र में चार या उससे ज्यादा लोग एक साथ इकट्ठा नहीं हो सकते,ताकि आगे कोई अप्रिय घटना न हो।