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भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के लिए महेश शर्मा के नाम की भी चर्चा

दौड़ में हैं कई दावेदार, कभी भी हो सकती है नाम की घोषणा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष पद के लिए नोएडा से लोकसभा सदस्य एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ.महेश शर्मा का नाम भी चल रहा है। यदि सब कुछ ठीकठाक रहा तो वे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पर आसीन हो सकते हैं।

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे स्वतंत्रदेव सिंह के योगी मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद नए अध्यक्ष की तलाश शुरू कर दी गई है। वर्तमान में योगी सरकार में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी पहले उप्र भाजपा के अध्यक्ष थे। उन्होंने वर्ष 2014 में हुए लोकसभा के चुनाव में प्रयागराज जिले की फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। तब देश और प्रदेश में मोदी की जबर्दस्त लहर थी। उस लहर का फायदा केशव प्रसाद मौर्य को मिला और वे चुनाव जीत गए। बाद में वर्ष 2017 में हुए विधानसभा के चुनाव हुए तो भाजपा को जबर्दस्त सफलता मिली और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी। तब अपनी केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंच के चलते केशव प्रसाद मौर्य योगी मंत्रिमंडल में उप मुख्यमंत्री का पद पाने में कामयाब हो गए। हालांकि वे मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। लेकिन योगी आदित्यनाथ के सामने उनकी एक नहीं चली और उन्हें उप मुख्यमंत्री पद से ही संतोष करना पड़ा। चूंकि वे उत्तर प्रदेश सरकार में शामिल थे, इसलिए उन्हें लोकसभा से इस्तीफा देना पड़ा। उनके इस्तीफे से रिक्त हुई लोकसभा सीट से अपने बेटे को चुनाव मैदान में उतरवाया लेकिन उनका बेटा बुरी तरह चुनाव हार गया। केशव प्रसाद मौर्य विधान परिषद के सदस्य बना दिए गए। बाद में वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य प्रयागराज जिले की सिराथु विधानसभा सीट से चुनाव लड़े लेकिन वे समाजवादी पार्टी समर्थित अपना दल दल की उम्मीदवार पल्लवी पटेल से बुरी तरह चुनाव हार गए। बावजूद इसके योगी सरकार के कार्यकाल-दो में वे उप मुख्यमंत्री पद को बरकरार रखने में सफल रहे। लेकिन उनसे महत्वपूर्ण लोक निर्माण विभाग ले लिया गया। विधान परिषद के सदस्य वे अब भी हैं। उनकी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद पर वापसी की कोई दूर-दूर तक संभावना नहीं दिख रही।

प्रदेश भाजपा मुख्यालय के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पार्टी प्रदेश अध्यक्ष का नाम कभी भी घोषित कर सकती है। फिलहाल भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पर जिन नामों की चल रही है उनमें डॉ. महेश शर्मा के अलावा भूपेंद्र चौधरी, संजीव बालियान, केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा, सांसद हरीश द्विवेदी और सतीश गौतम के नाम शामिल हैं। इनके अलावा योगी सरकार-एक में ऊर्जा मंत्री रहे श्री कांत शर्मा का नाम भी अध्यक्ष पद के लिए  चल रहा है।

श्रीकांत शर्मा जब प्रदेश के ऊर्जा मंत्री थे तब बिजली आपूर्ति की व्यवस्था ठीकठाक थी। बिजली का लाइनलास भी कम था। अब जबकि श्रीकांत को इस बार योगी मंत्रिमंडल में नहीं लिया गया है और पहली योगी सरकार में उनका कामकाज ठीक था तब उनका नाम अध्यक्ष पद देकर उन्हें संतुष्ट किया जा सकता है।

डॉ.महेश शर्मा नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में राज्य मंत्री थे लेकिन उन्हें मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में केंद्रीय मंत्रिमंडल में नहीं लिया गया। उनकी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आम जनता पर ठीकठाक पकड़ बताई जा रही है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश को साधने के लिए महेश शर्मा के नाम पर केंद्रीय नेतृत्व विचार कर सकता है।

 

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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