वक्फ कानून पर सुनवाई में सिब्बल vs CJI, क्या सिर्फ मुसलमान ही बना सकते हैं वक्फ?

नोएडा : आज (16 अप्रैल) सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अहम सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अनुपस्थिति में इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने की, जिसमें जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन भी शामिल थे।
सुनवाई के दौरान ये लोग रहें शामिल
करीब 70 याचिकाएं वक्फ एक्ट के खिलाफ दाखिल की गई हैं, जिनकी एक साथ सुनवाई हो रही है। इस दौरान अदालत में एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता मौजूद रहे।
क्या कहा गया कोर्ट में?
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि वक्फ बोर्ड में सिर्फ मुस्लिम सदस्य होने चाहिए, क्योंकि संविधान का अनुच्छेद 26 धार्मिक संस्थाओं को अपनी व्यवस्था खुद तय करने का अधिकार देता है। लेकिन अब वक्फ कानून में संशोधन के बाद गैर-मुस्लिम, जैसे हिंदू सदस्य, भी बोर्ड में शामिल किए जा सकते हैं। सिब्बल का कहना था कि यह धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन है।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अब कोई भी संपत्ति वक्फ घोषित करने के लिए वक्फ डीड जरूरी कर दी गई है, जो पहले नहीं थी।
CJI बोले – ये प्रावधान सभी धर्मों पर लागू होता है
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अपनी दलील में कहा कि अनुच्छेद 26 धार्मिक स्वतंत्रता देता है और इसमें यह स्पष्ट है कि वक्फ जैसे धार्मिक ट्रस्ट सिर्फ मुसलमान ही बना सकते हैं।
इस पर मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अनुच्छेद 26 पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष है और इसका दायरा सिर्फ एक समुदाय तक सीमित नहीं है। उन्होंने कहा कि यह प्रावधान सभी धार्मिक समुदायों पर समान रूप से लागू होता है। उदाहरण देते हुए CJI ने कहा कि हिंदुओं के मामलों में भी सरकार ने कानून बनाए हैं, और ठीक वैसे ही मुस्लिम समुदाय के लिए भी संसद ने वक्फ कानून बनाया है।
कोर्ट ने क्या कहा?
सुनवाई के दौरान अदालत ने याचिकाओं की गंभीरता को देखते हुए चर्चा जारी रखने का फैसला किया है। कोर्ट अब इस मामले की अगली सुनवाई गुरुवार (18 अप्रैल) दोपहर 2 बजे करेगा।