राजस्थान का असर कहीं उत्तर प्रदेश पर न पड़ जाए
राजस्थान में पेट्रोल-डीजल की कमी, तेल लेने उमड़ी लोगों की भीड़, कई पंप सूखे
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के लोगों को चिंता सता रही है कि राजस्थान में पेट्रोल और डीजल की भयानक कमी का असर कहीं यहां भी न पड़ जाए। राजस्थान में इन दिनों पेट्रोल और डीजल की भयानक कमी है। पेट्रोल और डीजल के लिए लोगों की देर रात तक पेट्रोल पंपों पर भीड़ लगी रहती है।
राजस्थान में पेट्रोल डीजल की कमी से उपभोक्ता जूझ रहे हैं। हालात ये है कि लोगों को पेट्रोल डीजल हासिल करने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। जयपुर में पेट्रोल डीजल के लिए लोगों की पेट्रोल पंप पर भारी भीड़ लग गई। पेट्रोल डीजल की कमी की बात सुनते ही पेट्रोल पंप पर लोग गाड़ियां लेकर पहुंच गए। कई लोग पेट्रोल-डीजल स्टोर करने के लिए केन भी भरवा कर ले जाते देखे गए हैं। राजस्थान में पेट्रोल और डीजल की सप्लाई देश की पांच बड़ी कंपनियां करती हैं। कुल 6028 पेट्रोल डीजल पंप में 2285 आईओसी (इंडियन ऑयल कारपोरेशन), 1511 एचपीसीएल (हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड), 1203 बीपीसीएल (भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड), 110 रिलायंस और 919 एस्सार के हैं।
पेट्रोल पंप मालिकों का कहना है कि भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम ही मांग के अनुपात में पेट्रोल और डीजल की आपूर्ति नहीं कर रही हैं। हालात ये हो गए हैं कि दोनों कंपनियों के पेट्रोल पंप ड्राई होने लगे हैं। भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम के पेट्रोल पंप ड्राई होने की खबर फैलते ही आईओसीएल के पंप पर भारी भीड़ दिखना शुरू हो गई है।
उधर, राजस्थान पेट्रोलियम एसोसिएशन के अध्यक्ष गोपाल सिंह रूधिया का कहना है कि रिलायंस और एस्सार के 1029 पेट्रोल पंप पहले ही बंद हो चुके हैं। रिलायंस के पेट्रोल पंप से पेट्रोल और डीजल की दो से तीन प्रतिशत सप्लाई की जाती थी। पहले कंपनियां क्रेडिट देती थीं, अब पेमेंट डिपो का समय भी बदल दिया गया है। सप्लाई पूरी नहीं होने के पीछे पेट्रोलियम कंपनियां एडवांस पेमेंट देने वालों को ही माल दे रही हैं। बीपीसीएल और एचपीसीएल के पेट्रोल पंप ड्राई होने की बात को कंपनी अधिकारी नकार रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि पेमेंट मोड को बदले जाने से अव्यवस्था हो रही है। मोड को भी अचानक बदल दिया है।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय का कहना है कि देश में पेट्रोल और डीजल का उत्पादन किसी भी मांग में वृद्धि को पूरा करने के लिए पर्याप्त से अधिक है। इस अभूतपूर्व वृद्धि ने स्थानीय स्तर पर कुछ अस्थायी रसद मुद्दों को जन्म दिया है। तेल कंपनियों ने इन मुद्दों से निपटने के लिए कमर कस ली है।
दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में खासतौर से रिलायंस, एस्सार के पेट्रोल पंप गिने-चुने ही हैं। उनसे खास पेट्रोल और डीजल की मांग की पूर्ति नहीं होती है। भुगतान प्रणाली बदलने से और क्रेडिट का नियम बदलने का असर कहीं उत्तर प्रदेश पर न पड़े, इससे लोग सहमे हुए हैं।