आंदोलनः युवाओं ने ग्रेनो विकास प्राधिकरण का किया गेट प्रतीक रूप से बंद, एक घंटे बाद खोला
किसानों का 39वें दिन भी महापड़ाव जारी, काफी संख्या में युवा, महिला और किसान हुए शामिल, 6 जून को प्राधिकरण गेट को पूरी तरह बंद करने की चेतावनी दी
ग्रेटर नोएडा। किसान सभा के आह्वान पर आज बृहस्पतिवार को युवाओं ने रोजगार की मांग को लेकर ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण कार्यालय का गेट नंबर दो प्रतीक रूप से एक घंटे के लिए वैरिकेट लगाकर बंद कर दिया। बाद में गेट को खोल दिया गया। उधर, किसानों का महापड़ाव (धरना) आज 39वें दिन में पहुंच गया। महापड़ाव में युवाओं के साथ महिला और किसान भी काफी संख्या में शामिल हुए।
युवाओं को समर्पित था आज का कार्यक्रम
रोजगार के मुद्दे पर किसान सभा के आह्वान पर हजारों नौजवान ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के गोल चक्कर पर इकट्ठा हुए। वहां से वे किसानों के साथ महापड़ाव (धरना) स्थल पर पहुंचे। महिलाएं वहां पहले ही पहुंच गई थीं। लगभग 12 बजे युवाओं ने प्राधिकरण गोल चक्कर से प्राधिकरण की ओर जबर्दस्त नारेबाजी करते हुए कूच किया और प्राधिकरण के एकमात्र चल रहे दूसरे गेट को भी सांकेतिक रूप से एक घंटे के बंद कर दिया। यहां युवा नारेबाजी करते हुए प्राधिकरण गेट को वैरिकेट लगाकर बंद कर वहीं धरने पर बैठ गए। युवा नेता शशांक भाटी ने प्राधिकरण को चेतावनी दी कि वह किसानों, नौजवानों की समस्याओं को तुरंत हल करें अन्यथा 6 तारीख को प्राधिकरण गेट को अनिश्चित काल के लिए पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा।
क्रांतिकारियों का क्षेत्र है यह
पाली से आए नौजवान नेता प्रशांत भाटी ने कहा कि यह क्षेत्र 1857 के क्रांतिकारियों का क्षेत्र है। 10% आबादी प्लाट आबादियों के लीज बैक, सर्किल रेट का 4 गुना मुआवजा, रोजगार, 40 मीटर का भूमिहीनों का प्लाट एवं अन्य मुद्दों को सुलझाना ही होगा। जिन मुद्दों को लेकर आंदोलन चल रहा है उन मुद्दों पर नियम, कानून, समझौते पहले से तय है। प्राधिकरण ने पिछले दो-तीन वर्षों में किसानों के मुद्दों को किसान विरोधी मानसिकता की वजह से खत्म किया है। अब क्षेत्र का नौजवान खड़ा हो गया है। हर कीमत पर किसानों नौजवानों के मुद्दों को हल कराकर ही दम लेंगे।
डेरा डालो घेरा डालो की तैयारी
नौजवान नेता मोनू मुखिया ने कहा कि 6 तारीख को हजारों की संख्या में नौजवान “डेरा डालो घेरा डालो” प्रोग्राम की तैयारी में जुटे हुए हैं। प्राधिकरण को हम चेतावनी देना चाहते हैं कि आज हमने गेट को 1 घंटे के लिए बंद किया है यदि किसानों की समस्याओं को 6 तारीख से पहले नहीं सुलझाया गया तो प्राधिकरण के दोनों गेट बंद कर दिए जाएंगे। इसलिए प्राधिकरण सीईओ या तो किसानों के मुद्दों को हल करें अन्यथा अपना यहां से ट्रांसफर करा लें। ऐसी किसान विरोधी मानसिकता के अधिकारियों की यहां कोई आवश्यकता नहीं है। युवा नेता अमित भाटी ने प्राधिकरण को चेतावनी दी कि डेढ़ लाख से ज्यादा की आबादी भूमि अधिग्रहण से प्रभावित है। प्राधिकरण और शहर का अस्तित्व किसानों की जमीन पर निर्भर है और किसानों को रोजगार में शिक्षा में चिकित्सा में और तो और उनकी जमीन के बदले मिलने वाले हक हैं उन से भी वंचित किया जाना उनके साथ में न केवल कानून का उल्लंघन है बल्कि घोर अन्याय भी है। इस अन्याय को किसान और युवा समझ चुके हैं इसलिए आज युवाओं के धरने के माध्यम से हम प्राधिकरण को चेतावनी देते हैं कि प्राधिकरण अपनी किसान विरोधी नीतियों से बाज आए वरना प्राधिकरण के लिए यहां काम करना असंभव हो जाएगा। युवा नेता अभय भाटी ने कहा कि हम हर हाल में अपनी समस्याओं को हल कराकर ही दम लेंगे। रोजगार के मुद्दे पर 3 सितंबर 2010 का शासनादेश पहले से मौजूद है। नए भूमि अधिग्रहण कानून में रोजगार के संबंध में प्रावधान मौजूद है, उसे लागू करने की मांग हम कर रहे हैं साथ ही किसानों के अन्य मुद्दों को हल कराने की मांग हम कर रहे हैं परंतु प्राधिकरण ने समस्याएं हल करना तो दूर जो मुद्दे हल हो चुके थे जो अधिकार मिल चुके थे, उन्हें भी खत्म करने का काम किया है। इसलिए क्षेत्र में प्राधिकरण के विरुद्ध भारी आक्रोश है। नौजवान न केवल रोजगार के मुद्दे पर आक्रोशित है बल्कि क्षेत्र में लग रही फैक्ट्रियों में 200 किलोमीटर दूर के नौजवानों को रखा जा रहा है जबकि जमीनें यहां के नौजवानों की गई है। पहला हक उन्हीं नौजवानों का है जिनकी जमीनें फैक्ट्रियों के लिए ली गई है। आज के धरने अध्यक्षता रोहित ने की। संचालन सुशांत भाटी ने किया।
ये लोग थे महापड़ाव में शामिल
आज के महापड़ाव (धरने) में प्रमुख रूप से सुदीक्षा देवी, मोहित, अमित भाटी, शिखा यादव, प्रवेश नागर, अमित भाटी, कृष्णा नागर, मनोज, हैप्पी, राहुल नागर, नरेंद्र नंबरदार, सचिन आर्य, सुरेश नाग,,र दीपक नागर कार्तिक यादव, लक्ष्मण, रिया, कबीर, विजयपाल भाटी, आशा यादव, विपिन नागर, नरेंद्र भाटी, दीपक भाटी, पुनीत खारी, निखिल यादव सहित हजारों की संख्या में महिला और किसान प्रमुख रूप से शामिल थे।