बरेली:स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 6, कोविड प्रोटोकॉल के तहत 20 लोगों का हुआ अंतिम संस्कार
शमशान घाट के बाहर लंबी भीड़।
बरेली : बरेली में कोरोना का खतरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग मृत्यु के आंकड़े क्यों छुपा रहा है। किसी को बरेली शमशान भूमि पर स्वास्थ विभाग के अनुसार 6 लोगों की मृत्यु कोरोना से हुई। कोविड-19 प्रोटोकोल के अनुसार 20 लोगों की मृत्यु कोरोना से हुई है। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच कई भयानक तस्वीरें ऐसी आई है जिनमें लाशों का ढेर लगा हुआ है। ठीक ऐसा ही मामला बरेली के शमशान भूमि पर देखने को मिला है जिसमें एक साथ 20 लाशें कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत जलाई गई हैं
जहां एक ओर पूरे भारतवर्ष में रोज कोरोना से हजारों लाखों जाने जा रही हैं वही दूसरी ओर कई जगह पर लाशें जलाने के लिए जगह तक कम पड़ गई है। कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत जितनी डेड बॉडी रोज जलाई जा रही हैं उससे कहीं ज्यादा डेड बॉडी श्मशान भूमि के बाहर लाइन में पड़ी हुई हैं वैक्सीन आने के बाद भी कोरोना का खतरा टल नहीं रहा है। उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों से चौकाने वाले कोरोनावायरस मृत्यु के मामले बढ़ते जा रहे हैं परंतु लोग कोरोना के प्रोटोकॉल्स को फॉलो ठीक से नहीं कर रहे हैं अन्य राज्यों की भांति मृत्यु दर उत्तर प्रदेश में भी लगातार बढ़ती जा रही है वही प्रयागराज हाई कोर्ट ने 5 जिलों में लॉक डाउन की घोषणा कर दी है जिन जिलों में मृत्यु की दर सबसे ज्यादा है ऐसे में देखना यह है कि लोग कितना कोरोना के नियमों का पालन करते हैं बरेली प्रशासन की ओर से लगातार कोरोनावायरस नियमों का पालन करने की हिदायत दी जा रही है।
कोविड-19 प्रोटोकोल के तहत अंतिम संस्कार
बरेली के सिटी श्मशान भूमि में कुल 23 शव जलने पहुंचे, जिसमें 13 शवों का अंतिम संस्कार कोविड के अनुसार हुआ। वहीं संजयनगर की श्मशान भूमि में पहुंचे 20 शवों में से छह शवों का अंतिम संस्कार कोविड के तहत किया गया। गुलाब बाड़ी वाले श्मशान भूमि पर पांच शव पहुंचे। जिसमें एक शव का अंतिम संस्कार कोविड के तहत हुआ ।कोरोना के संक्रमण से मौत की संख्या बढ़ने के बाद उत्तराखंड से मंगाई जाने वाली लकड़ी कम पड़ गई है। दूसरी तरफ लोकल ठेकेदारों से लकड़ी लेकर श्मशानभूमि पर मंगवाई जा रही है। सिटी व संजयनगर की श्मशानभूमि पर आम दिनों आम दिनों के मुकाबले ज्यादा शव दाह संस्कार के लिए पहुंच रहे है। जिसमें अब कोविड वाले शवों की संख्या दोगुनी हो गई है हैं। इसी कारण लकड़ी की मांग काफी बढ़ रही है। देखा जाए तो लखनऊ, वाराणसी, कानपुर की तरह बरेली की स्थिति भी खराब होने लगी है।
कोविड से मृत्यु होने वाले आंकड़े डराते हैं
कोरोनावायरस से होने वाली मृत्यु के बाद शवों का अंतिम संस्कार कोविड के तहत किया जा रहा है। इसका मतलब साफ है कि बरेली में भी संक्रमित मरीजों की की मृत्यु तेजी से हो रही है। स्वास्थ्य विभाग की मानेंं तो 16 व 17 अप्रैल को चार संक्रमितों मरीजों की मौत की संख्या जारी की गई है। एक नजर श्मशान भूमि पर होते अंतिम संस्कारों पर डाले तो बड़ा अंतर सामने दिखाई दे रहा है।
उत्तराखंड से लाई जा रही लकड़ी भी खपत
बरेली में सिटी श्मशान भूमि व संजय नगर की श्मशान भूमि पर जो लकड़ी आती है वह उत्तराखंड से आती है। लेकिन इस समय लकड़ी बहुत कम ही मात्रा में आ रही है सिटी के श्मशान भूमि पर अब कुछ ही दिन की लकड़ी बची हुई है। वहीं अन्य जैसे संजयनगर श्मशान भूमि पर मात्र चार दिन की ही लकड़ी बची हुई है। श्मशान भूमि के जिम्मेदारों का कहना है कि इस समय लकड़ी उत्तराखंड के साथ साथ लोकल ठेकेदारों से भी लेते हैं।संजयनगर की श्मशान भूमि सचिव महेन्द्र पटेल ने जानकारी देते हुए बताया है कि अचानक संक्रमण से बढ़ते शवों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। जो भी संक्रमित शव आते हैं उनका कोरोना नियम के अनुसार ही अंतिम संस्कार किया जाता है।