बेशर्मी की हद पार…छाती पकड़ना रेप नहीं ? … इलाहाबाद HC के आदेश पर SC ने लगाई फटकार !!

सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म से जुड़े एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने इस फैसले को “असंवेदनशील और अमानवीय” बताते हुए कड़ी आपत्ति जताई।
क्या था हाईकोर्ट का फैसला ?
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि “अगर कोई नाबालिग लड़की के ब्रेस्ट पकड़ता है या उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ता है, तो यह रेप की परिभाषा में नहीं आता।” इस टिप्पणी के बाद विवाद खड़ा हो गया था।
सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
बुधवार को जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने इस फैसले पर सुनवाई की। अदालत ने कहा कि “हमें यह देखकर दुख हो रहा है कि फैसला लिखने वालों में संवेदनशीलता की कमी है।”
केंद्र और यूपी सरकार को नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से इस मामले में जवाब मांगा है। अदालत ने दोनों को नोटिस जारी कर प्रतिक्रिया देने के लिए कहा है।
फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का रुख
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि “कुछ फैसले ऐसे होते हैं जिन पर तुरंत रोक लगाना जरूरी हो जाता है।” उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले के कुछ अंशों (पैराग्राफ 21, 24 और 26) को “गलत और भ्रामक” बताया और कहा कि इससे समाज में गलत संदेश गया है।
हाईकोर्ट के जजों पर भी सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को देखना चाहिए कि इस जज को आगे से संवेदनशील मामलों की सुनवाई न दी जाए।
चार महीने बाद आया था फैसला
कोर्ट ने यह भी नोट किया कि यह फैसला तत्काल नहीं लिया गया था, बल्कि इसे सुरक्षित रखने के चार महीने बाद सुनाया गया। यानी, सोच-समझकर यह निर्णय दिया गया, जो कई कानूनी दृष्टिकोण से गलत और अमानवीय प्रतीत होता है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगाते हुए सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है।
यह मामला 11 साल की बच्ची से जुड़ा है
17 मार्च को आए एक फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि पीड़िता को जबरदस्ती पुलिया के नीचे ले जाना, उसके ब्रेस्ट पकड़ना और पायजामे की डोरी तोड़ना रेप की कोशिश नहीं माना जा सकता।
इस मामले में पीड़िता मात्र 11 साल की बच्ची थी, लेकिन हाईकोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने अपने निष्कर्ष में इसे “महिला की गरिमा पर आघात” का मामला बताया और कहा कि इसे बलात्कार या बलात्कार के प्रयास की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।