सावधान : कारोबार को बढ़ाने के लिए सॉफ्टवेयर या वेबसाइट बनवा रहे हों तो हो जाएं सावधान
हो सकते हैं आईटी कंपनी ठगों के शिकार, करोड़ों की लग सकती है चपत, एनसीआर में सक्रिय है आईटी कंपनी के ठगों का गिरोह
नोएडा। यदि अपने कारोबार को बढ़ाना चाहते हों और इसके लिए सॉफ्टवेयर या वेबसाइड बनवाना चाहते हों तो सावधान हो जाएं। जिससे आप सॉफ्टवेयर या वेबसाइड बनवाना चाह रहे हों तो उसकी भली-भांति जांच कर लें। इन दिनों दिल्ली व एनसीआर में आईटी ठगों का गिरोह सक्रिय है। लोगों को ठगने का वे नए-नए तरीके इजाद कर रहे हैं। उनके तरीकों से भोले-भाले लोगों का बचना मुश्किल होता जा रहा है।
81 लाख की ठगी
अभी जल्दी नोएडा में सॉफ्टवेयर व वेबसाइड डेवलपर के नाम पर 81 लाख रुपये की ठगी के मामले का उजागर हुआ है। जब ठगी के शिकार व्यक्ति ने इसकी शिकायत पुलिस से की तो ठगों ने उल्टे व्यवसायी को ही ब्लैकमेल कर दस करोड़ रुपयों की मांग कर दी। व्यसायी ने जब इसकी शिकायत पुलिस से की तो पुलिस ने रिपोर्ट लिखने से ही मना कर दिया। बाद में व्यसायी को कोर्ट का सहारा लेना पड़ा। कोर्ट के आदेश पर पुलिस को मामला दर्ज करना पड़ा।
क्या है मामला
नोएडा के सेक्टर-63 में हर्बल उत्पाद बनाने वाली एक कंपनी है। इस कंपनी के मालिक अपने उत्पाद को आम लोगों तक पहुंचाने के इरादे से सॉफ्टवेयर बनवाना चाहते थे। इसका फायदा आईटी फ्रॉड करने वालों के गिरोह ने उठाया। गिरोह के लोगों ने इस व्यवसायी से 81 लाख रुपये ठग लिए। ठगों का गिरोह यहीं नहीं रुका। ठगी का शिकार होने का पता जब कंपनी के मालिक को हुआ तो उन्होंने पुलिस थाने में खुद के ठगी होने का शिकार होने की शिकायत पुलिस से की। पुलिस ने शिकायत तो सुन ली लेकिन ठगों ने उसे ब्लैकमेल कर 10 करोड़ रुपये की फिरौती मांग कर ली। जब इसकी शिकायत भुक्तभोगी ने पुलिस ने की और मामले की रिपोर्ट दर्ज करानी चाही तो पुलिस ने रिपोर्ट ही दर्ज नहीं की। इस पर ठगी के शिकार हुए व्यक्ति (व्यवसायी) ने अदालत की शरण ली। अदालत के आदेश पर नोएडा के साइबर अपराध थाने में मामले की रिपोर्ट दर्ज हुई।
क्या है एफआईआर में
पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में जानकारी दी है कि नोएडा के सेक्टर-63 में हर्बल उत्पाद कंपनी संचालक ललित मोहन शर्मा ने शिकायत की है कि वह अपनी कंपनी के लिए सेलिंग सॉफ्टवेयर डिजाइन कराना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने अप्रैल 2020 में दिल्ली स्थित सॉफ्टवेयर और वेबसाइट डिजाइन करने वाली कंपनी के डायरेक्टर से संपर्क किया। शिकायत के अनुसार डायरेक्टर ने अपने कंपनी के प्रतिनिधियों को ललित के पास भेजा। कुछ महीने बाद सॉफ्टवेयर तैयार कर दिया गया लेकिन लगातार इसमें तकनीकी दिक्कतें आ रही थी। इस कारण कई बार ग्राहकों को उन्हें मुआवजा भी देना पड़ा। ललित का आरोप है कि डेवलपर कंपनी से समझौते के बावजूद मेंटिनेंस और अन्य तरह के अधिकार उन्हें ट्रांसफर नहीं किए। अब पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर अपनी कार्रवाई शुरू कर दी है।