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उत्तर प्रदेशगौतम बुद्ध नगरलखनऊ

योगी आदित्यनाथ का बड़ा फैसला

मुख्यमंत्री बदल रहे सिस्टम, भ्रष्ट अधिकारियों के नकल कसे

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सिस्टम बदल रहे हैं। सरकारी कामकाज की रीति और नीति बदल रहे हैं। अब उत्तर प्रदेश में सरकारी दफ्तरों में भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं की धौंस नहीं चलेगी। बाबू से लेकर कलेक्टर तक से खुद कोई डीलिंग नहीं करेगा। अधिकारियों की ओर से मिली शिकायतों से नाराज़ मुख्यमंत्री ने नई व्यवस्था निर्धारित कर दी है। अब हर जिले में एक कोर ग्रुप बनेगग। इन कोर ग्रुप के मुखिया जिले के प्रभारी मंत्री होंगे। ग्रुप में पार्टी के सांसद, विधायक और जिलाध्यक्ष को शामिल किया जाएगा। पार्टी कार्यकर्ता इस ग्रुप को अपनी शिकायतें देंगे और समस्याएं बताएंगे। अब पार्टी के हर कार्यकर्ता और नेता का सीधा दखल पुलिस और प्रशासन में नहीं होगा।

भ्रष्टाचार खत्म करना प्राथमिकता

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूसरी सरकार की प्राथमिकता भ्रष्टाचार खत्म करना है। पहली सरकार के दौरान उन्होंने संगठित अपराधियों को दुरुस्त किया। इस बार सिस्टम से भ्रष्टाचार को हटाने का बीड़ा मुख्यमंत्री ने उठाया है। लिहाजा, अधिकारियों की नकेल कसी जा रही है। भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के विकेट धड़ाधड़ गिर रहे हैं। ऐसे में योगी अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की दखल और किसी तरह का भ्रष्टाचार पसन्द नहीं करेंगे। दरअसल, भाजपा नेता काम लेकर अधिकारियों के पास जाते हैं। इसकी आड़ में भ्रष्ट कर्मचारी और अधिकारी अपना उल्लू भी सीधा करते हैं। लिहाजा,  मुख्यमंत्री ने इस व्यवस्था में बदलाव कर दिया है। जिससे किसी अधिकारी या कर्मचारी को कोई बहाना नहीं मिले।

सरकार,  जनप्रतिनिधि और संगठन रखेंगे नजर

मुख्यमंत्री की नई व्यवस्था में सरकार, जिलों के जनप्रतिनिधियों और पार्टी के जिलाध्यक्ष को शामिल किया गया है। पार्टी के किसी भी नेता या कार्यकर्ता का कोई काम, शिकायत या परेशानी है तो कोर ग्रुप के सदस्यों को बताएंगे। कोर ग्रुप इन कामों पर विचार करेगा और उपयुक्त होने पर पुलिस-प्रशासन को बताएगा। इस व्यवस्था में सरकार, जनप्रतिनिधि और संगठन को शामिल किया गया है। जिससे निगरानी और संतुलन बना रहेगा। अगर कोर ग्रुप का कोई सदस्य ही अव्यवस्था फैलाएगा तो बाकी सदस्यों की नजर में आ जाएगा।

 

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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