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अपराध पर शिकंजा : उप्र में अपराध से कमाई संपत्ति जब्त कर अपराध पीड़ितों में होगी वितरित, डीजीपी ने जारी किया SOP

लखनऊ (मुकेश पंडित): उप्र की योगी आदित्यनाथ की भाजपा सरकार लगातार अपराधियों और उनके संरक्षणदाताओं पर शिकंजा कस रही है। अब अपराध से अर्जित अकूत संपत्ति और आय को अपराध से पीड़ितों में बांटा जाएगा। इस संबंध में पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने राद्य के सभी पुलिस कमिश्नर, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और पुलिस अधीक्षकों को एओपी (SOP) जारी किया है। गौतमबुद्ध नगर कमिश्नरेट की पुलिस आयुक्त को भी यह पत्र भेजा गया है। जिले में दर्जनभर ऐसे गैंगस्टर हैं, जिनकी संपत्ति कुर्क की जानी है।
बिना मुकदमे जब्त हो सकेगी अपराधियों की संपत्ति
उल्लेखनीय है कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 107 के तहत गैंगस्टर एक्ट या पीएमएलए एक्ट के मुकदमे के बिना भी पुलिस सीधे संपत्ति जब्त कर सकती है। माफिया और अपराधियों द्वारा अपराध से जुटाई गई संपत्ति को पुलिस जब्त कर सकेगी। कोर्ट के आदेश पर यह संपत्ति कुर्क होगी। कोर्ट  के आदेश पर दो माह में अपराध से अर्जित संपत्ति को जिले का डीएम नीलाम करेंगे और उससे मिलने वाली आय अपराध पीड़ितों को वितरित की जाएगी।
अपराधियों के मददगारों पर भी होगी कारवाई
इस संबंध में डीजीपी ने सभी को एसओपी(स्टैंडिंग ऑपरेटिंग प्रोसीजर ) जारी किए हैं। माना जा रहा है कि इससे अपराधों पर और भी प्रभावी तरीके से अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। अभी तक उत्तर प्रदेश सरकार गैंगस्टर एक्ट के तहत ही माफिया की संपत्ति जब्त कर सरकारी आवास बना कर दे रही थी। अब बड़े माफियाओं के साथ साथ उनके मददगारों और छोटे अपराधियों और गैंगस्टर्स की संपत्ति को जब्त कर कुर्की से हुई आय पीड़ितों में बंटेगी।
क्या हैं धारा 107 में प्राविधान
♦ पुलिस कुर्की का अनुरोध कर सकती है
♦ आईओ जांच के दौरान संपत्ति की कुर्की का अनुरोध कर सकता है
♦ अगर उन्हें लगता है कि यह आपराधिक गतिविधि का परिणाम है। अनुरोध को पुलिस अधीक्षक या पुलिस आयुक्त द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए
♦ अदालतें कारण बताओ नोटिस जारी कर सकती हैं
♦ अदालत को लगता है कि संपत्ति आपराधिक गतिविधि का परिणाम है, तो वह 14 दिनों के भीतर कारण बताओ नोटिस जारी कर सकती है।
♦ अदालतें एकपक्षीय आदेश पारित कर सकती हैं,कोई प्रतिनिधित्व नहीं किया जाता है, तो अदालत एकपक्षीय आदेश पारित कर सकती है।
♦ यदि अदालत को लगता है कि संपत्ति आपराधिक गतिविधि का परिणाम है, तो वह जिला मजिस्ट्रेट को 60 दिनों के भीतर प्रभावित व्यक्तियों को आय वितरित करने का निर्देश दे सकती है।

 

Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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