दिल्ली की जेलों में वर्चुअल पेशी की शुरुआत: खर्च और खतरे दोनों होंगे कम

नोएडा: दिल्ली की जेलों से कैदियों को कोर्ट में पेश करने की परंपरागत व्यवस्था जल्द ही इतिहास बन सकती है। जेल प्रशासन अब सभी जेलों में ऐसी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा स्थापित करने जा रहा है, जिससे कैदी जेल से ही कोर्ट में पेश हो सकेंगे।
840 वीडियो कॉन्फ्रेंस सिस्टम की योजना
नई व्यवस्था के तहत दिल्ली की जेलों में 840 वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सिस्टम लगाए जाएंगे। किस जेल में कितने सिस्टम लगेंगे, यह जेल की जरूरत के अनुसार तय किया जाएगा। इस पूरी परियोजना पर करीब 38 करोड़ रुपये खर्च होंगे और जल्द ही इसके लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी।
वर्तमान पेशी व्यवस्था
इस समय कैदियों को कोर्ट में पेश करने की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस की तीसरी बटालियन की होती है। वे ही कैदियों को जेल से कोर्ट और वापस लेकर जाते हैं। वैन में सुरक्षा की संख्या कैदी की श्रेणी के अनुसार तय होती है, खासकर खतरनाक कैदियों के लिए अतिरिक्त इंतजाम किए जाते हैं।
पेशी के दौरान आने वाले खतरे
कई बार कैदी वैन में आपस में भिड़ जाते हैं या कोर्ट परिसर में हमले की घटनाएं सामने आती हैं। कुछ मामलों में कैदियों ने वैन में ही एक-दूसरे की हत्या कर दी। इसके अलावा, नशीले पदार्थों या प्रतिबंधित वस्तुओं की जेल तक पहुँचने की घटनाएं भी सामने आई हैं।
ट्रैफिक जाम से भी होती है परेशानी
दिल्ली की सड़कों पर चलने वाली जेल वैनें अक्सर जाम में फंस जाती हैं, जिससे पेशी में देर होती है और सुरक्षाकर्मियों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
खर्च में होगी भारी बचत
वर्तमान व्यवस्था में जेल प्रशासन को दिल्ली पुलिस को हर महीने करीब 15 करोड़ रुपये देने होते हैं। नई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग व्यवस्था लागू होने से यह खर्च काफी हद तक खत्म हो जाएगा।
केवल विशेष मामलों में होगी शारीरिक पेशी
नई व्यवस्था लागू होने के बाद केवल विशेष या अपरिहार्य मामलों में ही कैदियों को कोर्ट में शारीरिक रूप से पेश किया जाएगा। ऐसी स्थिति में भी यह जिम्मेदारी तीसरी बटालियन की होगी, लेकिन उनकी भूमिका सीमित हो जाएगी।