उत्तर प्रदेशलखनऊ

रोड हिप्नोसिस से बचें ड्राइवर, बड़े हादसे का होता है कारण

परिवहन विभाग ने बचने के उपाय बताए, उम्मीद जताई ड्राइवर पालन करेंगे

लखनऊ। परिवहन विभाग ने वाहन चालकों को सचेत किया है कि वे रोड हिप्नोसिस से बचें। इसकी वजह से प्रायः सड़क हादसे होते रहते हैं और ड्राइवर के साथ ही वाहन में बैठे लोग भी अपनी जान गवा बैठते हैं।  परिवहन विभाग ने अपने सड़क सुरक्षा अभियान के तहत वाहन के ड्राइवरों को सचेत किया और उनसे उम्मीद जताई कि रोड हिप्नोसिस से बचने के लिए परिवहन विभाग द्वारा सुझाए गए उपाय पर वे अमल करेंगे।

 

क्या है रोड हिप्नोसिस

परिवहन विभाग ने रोड हिप्नोसिस के बारे में बताया कि किसी भी वाहन की ड्राइविंग करते समय की यह एक शारिरिक स्थिति है। सामान्यतः लगातार ढाई-तीन घंटे की ड्राइविंग के बाद रोड हिप्नोसिस शुरू हो जाता है। ऐसी सम्मोहन की स्थिति में वाहन के ड्राइवर की आंखें खुली होती हैं लेकिन दिमाग अक्रियाशील हो जाता है। इसलिए जो दिख रहा है उसका सही विश्लेषण ड्राइवर नहीं कर पाता। इसका परिणाम यह होता है कि सीधी टक्कर वाली दुर्घटना हो जाती है।

इस सम्मोहन की स्थिति में दुर्घटना के 15 मिनट तक ड्राइवर को न तो सामने के वाहनों का आभास होता है और न ही अपनी स्पीड (वाहन की गति) का। जब 120-140 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से वाहन की टक्कर होती है तो भयानक दुष्परिणाम सामने आते हैं।

 

बचाव के उपाय

रोड हिप्नोसिस (सम्मोहन) की स्थिति से बचने के लिए वाहन के ड्राइवर को चाहिए कि हर ढाई-तीन घंटे ड्राइविंग के बाद रुके। चाय-कॉफी पीए। 5 से 10 मिनट तक आराम करे और मन को शांत करें। ड्राइविंग के दौरान स्थान विशेष और आते-जाते कुछ वाहनों को याद करते चले। अगर डाइवर महसूस करे कि पिछले 15 मिनट का उसे कुछ याद नहीं है तो इसका मतलब है कि उसे और वाहन में बैठे
अन्य लोगों को मौत के मुंह में ले जा रहा है।

कब होता है रोड हिप्नोसिस

सड़क सम्मोहन (रोड हिप्नोसिस) ये अचानक रात के समय होता है जब वाहन में सवार अन्य यात्री सो जाते हैं या ऊंघ रहे होते हैं। तब यह समय बेहद खतरनाक होता है। इसमें वाहन के चालक बेहद सावधान रहने की जरूरत होती है। यदि वह सावधान नहीं होता तो बेहद गंभीर दुर्घटना हो सकती है।

ड्राइवर को झपकी आ जाए या नींद आ जाए तो दुर्घटना को कोई नहीं रोक सकता लेकिन आँखें खुली हों तो दिमाग का क्रियाशील होना अतिआवश्यक है। इसे हमेशा ध्यान रखना चाहिए। इससे ड्राइवर के साथ ही अन्य साथ में वाहन में सवार लोग सुरक्षित रहेंगे और हमेशा सुरक्षित ड्राइविंग ही करना चाहिए।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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