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मिसालः पैर सड़ने से परेशान बेघर व्यक्ति को फेलिक्स अस्पताल ने दिया सहारा

बेसहारा व बेघर व्यक्ति को अस्पताल के चेयरमैन ने अपने अस्पताल में किया भर्ती, निःशुल्क इलाज करने का उठाया बीड़ा

नोएडा। प्राइवेट अस्पतालों पर प्रायः आरोप लगते हैं कि उनका इलाज से कोई मतलब नहीं होता वे सिर्फ मरीजों से पैसा खींचना जानते हैं। आरोप तो यहां तक लगते हैं कि मरीज की मौत के बाद भी ऐसे अस्पताल अपना बिल बढ़ाने के चक्कर में डिस्चार्ज नहीं करते। इसके विपरीत कुछ ऐसे निजी अस्पताल भी हैं जो मानवता की मिसाल पेश करते हैं। उन्हें पता है कि मरीज से कोई पैसा नहीं मिलेगा फिर भी अपने अस्पताल में भर्ती कर उसका इलाज करते हैं।

मानवता की मिसाल

ऐसे ही मानवता के जीते-जागते मिसाल फेलिक्स अस्पताल के चेयरमैन हैं जिन्होंने एक बेसहारा, बेघर, अर्ध विक्षिप्त के पैर सड़ जाने की जानकारी मिलने पर अपने अस्पताल में भर्ती कर उसका निःशुल्क इलाज की बात कहते हैं। इसका जीता-जागता उदाहरण शुक्रवार को मिला। पैरों में कीड़े पड़े एक विक्षिप्त व्यक्ति को जब कहीं भी भर्ती नहीं किया गया तो कुछ जागरूक लोगों ने फेलिक्स अस्पताल के चेयरमैन डॉ डीके गुप्ता से संपर्क किया और उस व्यक्ति की हालत बताई। यह जानकारी मिलने पर डॉ. डीके गुप्ता ने तुरंत उस व्यक्ति को फेलिक्स अस्पताल में भर्ती कर लिया। यह घटना कुछ समाजसेवियों की मदद से सार्वजनिक हुई। फेलिक्स अस्पताल के चेयरमैन डॉ. डीके गुप्ता ने विक्षिप्त व्यक्ति का निशुल्क इलाज करने की बात कही है।

कौन है पीड़ित व्यक्ति

पीड़ित व्यक्ति की पहचान अजय के रूप में हुई है। इसे फेलिक्स अस्पताल के आठवें तल पर भर्ती किया गया है। अजय के दाहिने पैर को पूरी तरह से कीड़ों ने खा लिया है। इससे उसका पैर सड़ गया है। डॉ. मयंक मंगल (प्लास्टिक सर्जन) की देखरेख में उसका इलाज चल रहा है। अजय को भर्ती करने के बाद उसके पैर की ड्रेसिंग की गई है।

जरूरत पड़ने पर पैर की सर्जरी होगी

डॉ.मयंक ने बताया कि जरूरत पड़ने पर पैर की सर्जरी की जाएगी। क्योंकि पैर पूरी तरह से सड़ चुका है।

बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना मकसद

अस्पताल की डायरेक्टर डॉ. रश्मि गुप्ता ने कहा कि अस्पताल का मकसद बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना है। इसी को ध्यान में रखकर अजय का उपचार किया जा रहा है। उसके परिजनों से संपर्क करने की कोशिश की जा रही है। मरीज का इलाज ही हमारी प्राथमिकता है। हमारी पूरी टीम मरीज के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना कर रही है। हम लोगों की सेवा करने के मकसद से डॉक्टर बने हैं। इलाज के बाद जब लोग ठीक हो जाते हैं तो जितनी खुशी मरीज को मिलती है उतनी ही अस्पताल को भी मिलती है। वे मरीजों का इलाज पूरी तन्मयता से करते हैं ताकि वे जल्दी से स्वस्थ हो जाएं। डॉक्टर बनने का मनोरथ पैसे कमाना नहीं बल्कि मरीजों की सेवा करना था और इसी मनोरथ से वह दिन-रात उपचार में लगे रहते हैं।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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