किसान आंदोलित : उपराष्ट्रपति के बयान से सरकार असहज, निकाले जा रहे हैं अलग-अलग मायने
नोएडा (मुकेश पंडित) : किसानों को लेकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बयान ने राजनीतिक क्षेत्रों में नई बहस खड़ी कर दी है। उनका यह बयान केंद्र की सरकार के लिए जहां मुश्किलें खड़ी करने वाला है, वहीं विपक्ष को भी राहत देने वाला है। राजनीतिक हल्कों में सवाल पूछे जाने लगे हैं कि क्या जगदीप धनखड़ भी भाजपा के नेता रहे पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक की राह पकड़ रहे हैं या इसके पीछे कोई और गहरी राजनीति है? महत्वपूर्ण बात यह है धनखड़ का बयान ऐसे वक्त आया है, जब नोएडा-ग्रेटर नोएडा के किसान जमीन अधिग्रहण और उचित मुआवजे की मांग को लेकर सड़कों पर हैं और सरकार उनके साथ सख्ती से पेश आ रही है।
क्या बोले थे धनखड़?
किसानों को लेकर उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में जो बातें कहीं हैं, उससे सरकार पर सवाल खड़े हुए हैं। धनखड़ का बयान सरकार को आईना दिखाने वाला। मुंबई में केंद्रीय कपास प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान के शताब्दी समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पहुंचे थे। उन्होंने कहा-‘किसान संकट में है और आंदोलन कर रहे हैं। यह स्थिति देश के लिए अच्छी नहीं है। सरकार को आत्मावलोकन की जरूरत है।‘ धनखड़ ने पूछा कि आखिरकार किसानों से वार्ता क्यों नहीं हो रही है? क्या किसानों से कोई वादा किया गया था। पिछले साल भी आंदोलन हुआ था, इस साल भी आंदोलन है और समय जा रहा है, लेकिन हम कुछ नहीं कर रहे हैं। धनखड़ ने कहा कि कृषि मंत्री जी, मुझे तकलीफ हो रही है। मेरी चिंता यह है कि अब तक पहल क्यों नहीं हुई? आप कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री हैं। जिस समय धनखड़ यह बातें कह रहे थे, उस समय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान बैठे हुए थे।
क्या सत्यपाल की राह पर हैं धनखड़
उपराष्ट्रपति के कृषि मंत्री से किसानों को लेकर इतने कड़े सवाल पूर्व राज्यपाल एवं भाजपा के नेता रहे सत्यपाल मलिक की यादें ताजा कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीरके उपराज्यपाल पद पर से हटने के बाद किसानों के मुद्दे पर सत्यपाल मलिक ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कटघरे में खड़ा करते हुए उन्हें अहंकारी तक बता डाला था। मलिक का कहना था कि वह किसानों के मुद्दे पर पीएम मोदी से चर्चा करने के लिए गए थे, लेकिन उनकी पीएम मोदी से लड़ाई हो गई। मलिक ने जयपुर की एक सभा में कहा था कि वह जब किसानों के मामले में प्रधानमंत्री जी से मिलने गया, तो उनसे मेरी पांच मिनट में लड़ाई हो गई। वो बहुत घमंड में थे। उनके इस बयान के बाद केंद्र के लिए काफी मुश्किलें खड़ी हो गई थीं। सरकार ने इसके बाद सत्यपाल मलिक से किनारा कर लिया यहां तक की उनकी सुरक्षा तक हटा ली गई थी।
राजनीतिक हलकों में निकाले जा रहे हैं अलग-अलग मायने
जगदीप धनखड़ के बयान के राजनीतिक हलकों में अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। कुछ का मानना है कि धनखड़ का कार्यकाल एक वर्ष से भी कम समय का बचा है, उन्हें इस बात की भनक मिल चुकी है कि दोबारा उन्हें इस पद पर मौका नहीं मिलेगा। राजस्थान के चुनाव के वक्त सरकार उन्हें आजमा चुकी है। जाट नेता के तौर पर राजस्थान के लोकसभा चुनाव में भाजपा को जितनी सीटें मिलने की उम्मीद थी, वह नहीं मिल पाईं थी। एक बड़ी वजह है कि केंद्र में मोदीजी के नेतृत्व में एक बैसाखी सरकार बनी। जबकि एक तबका यह भी मानता है कि कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को केंद्र की सरकार आईना दिखाना चाहती है और इसके लिए फिर एक बार निशाना साधने के लिए जगदीप धनखड़ के कंधे को सहारा लिया गया है, क्योंकि मध्य प्रदेश से हटने के बाद शिवराज सिंह को केंद्र में ‘एडजस्ट’ ही किया गया। मोदी-शाह की लॉबी उन्हें पसंद नहीं करती है। खैर, धनखड़ का बयान सुर्खियों और चर्चाओं में जरूर है।
किसान आंदोलन ने खड़ी कर दी हैं फिर मुश्किलें
दरअसल, नोएडा-ग्रेटर नोएडा के किसान जमीन अधिग्रहण और उचित मुआवजे की मांग को लेकर सड़कों पर हैं। एमएसपी सहित उनकी अन्य मांगें भी हैं। इन मांगों को लेकर किसान दिल्ली कूच करने के इरादे से सोमवार को महामाया फ्लाईओवर पर जमा हुए थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें दलित प्रेरणा स्थल के पास रोक लिया और बाद में उन्हें धऱनास्थल से जबरन खदेड़ कर किसान नेताओं को जेल में ठूंस दिया गया। अगले दिन भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने नोएडा पहुंचकर किसान सभा करने का ऐलान कर दिया, लेकिन उन्हें भी बुधवार को नोएडा पहुंचने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि यूपी की योगी सरकार ने किसानों की समस्याओं के निदान के लिए पांच सदस्यीय कमेटी बनाकर मामले को ठंडा करने की कोशिश की है, परंतु किसान मानने को तैयार नहीं है। लिहाजा, बृहस्पतिवार को भी नोएडा पुलिस और किसानों के बीच संघर्ष की स्थिति बनी रही।