खुशखबरीः मुख्यमंत्री ने उप्रलोसेआ से चयनित 1354 स्टाफ नर्सों को बांटे नियुक्ति पत्र
कहा,स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ होती हैं स्टाफ नर्स, कोरोना कालखंड में पेश की मिसाल
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को लोकभवन के सभागार में मिशन रोजगार के तहत उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (उप्रलोसेआ) द्वारा नव चयनित 1354 स्टाफ नर्सों को नियुक्ति पत्र बांटे। स्टाफ नर्सों में 90 फीसद महिलाएं हैं। इस अवसर पर उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियों पर गिनाईं और कहा कि वर्ष 2017 से पहले जो प्रदेश देश के अंदर एक बीमारू राज्य माना जाता था यानि यहां मनुष्य ही नहीं बल्कि पूरा प्रदेश ही बीमार था, आज वह प्रदेश देश की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में खुद को स्थापित करने की ओर तेजी के साथ अग्रसर हुआ है। ये टीम भाव से ही संभव हुआ है। आज 25 करोड़ की आबादी वाला प्रदेश एक साथ बोलता है, निर्णय लेता और एक साथ चलता है। उसके परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं।
ये लोग भी थे मौजूद
इस दौरान उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, चिकित्सा शिक्षा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य परिवार कल्याण तथा मातृ एवं शिशु कल्याण राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह और प्रमुख सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पार्थ सारथी सेन शर्मा आदि उपस्थित रहे।
रोजगार की अपार संभावनाएं, पहले की सरकारों ने प्रयास नहीं किए
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नव चयनित स्टाफ नर्सों को बधाई देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की प्रेरणा से प्रदेश में शासन की शासकीय सेवाओं में पारदर्शी और निष्पक्ष चयन प्रक्रिया के माध्यम से पांच लाख से अधिक युवाओं को शासकीय सेवा में विभिन्न पदों पर नियुक्ति पत्र दिए गए हैं। इसके जरिए उन्हे जो सम्मान प्राप्त हुआ है इससे उनकी ऊर्जा और प्रतिभा का लाभ प्रदेश की जनता को मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में नौकरी और रोजगार की संभावनाएं कभी कम नहीं हो सकती क्योंकि प्रदेश अनंत संभावनाओं वाला प्रदेश है। दुनिया की सबसे अच्छी उर्वरा भूमि और जल संसाधन हमारे पास हैं। यही नहीं, सबसे अच्छे सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यम से जुड़े हुए उद्योग प्रदेश में हैं तो फिर नौजवान पलायन क्यों करेगा। हमारे पास पहले से वे पोटेंशियल थीं, लेकिन उसे सामने लाने के साथ समय के अनुरूप ढालने, तकनीक से जोड़ने का ईमानदारी से प्रयास नहीं हो पाया था। ऐसे में प्रदेश सरकार ने विगत साढ़े पांच वर्षों में विभिन्न कदम उठाए, जिसके परिणाम आपके सामने हैं।
1.61करोड़ से अधिक रोजगार का सृजित
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना कालखंड के दौरान लॉकडाउन लगते ही दिल्ली, महाराष्ट्र, पंजाब समेत तमाम जगहों पर प्रदेश के कामगार और श्रमिक के साथ भेदभाव होने लगा। इस पर उन्होंने अपने घरों की ओर रूख किया। ऐसे में भारत सरकार ने चिंता जाहिर की कि इतने बड़े पैमाने पर ये लोग उत्तर प्रदेश जाएंगे, वहां कैसे रहेंगे। हमने कहा कि हम सबको लेंगे और इनके लिए सारी व्यवस्था करेंगे। इस दौरान इनकी स्किल मैपिंग कराई गई। एमएसएमई के वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट और विश्वकर्मा सम्मान योजना के तहत 40 लाख लोगों को कहीं न कहीं रोजगार और स्वरोजगार से जोड़ा गया। वहीं केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से एक करोड़ 61 लाख से अधिक रोजगार का सृजन विभिन्न सेक्टर में किया गया तो 60 लाख से अधिक स्वरोजगार भी उपलब्ध कराए गए। मिशन रोजगार के तहत शासकीय सेवाओं में जो अभियान चल रहा है इतनी नौकरियां कभी नहीं निकलीं। बेसिक शिक्षा में एक लाख 26 हजार से अधिक नियुक्तियां हुईं। माध्यमिक शिक्षा में 40 हजार से अधिक नियुक्तियां हुईं। पुलिस विभाग ने 1 लाख 60 हजार से अधिक भर्तियों की प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से संपन्न कराया। स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न पदों पर पारदर्शी तरीके से नियुक्तियां दी गईं। आज प्रदेश देश के अंदर निवेश के सबसे अच्छे गंतव्य के रूप में जाना जाता है। प्रदेश में स्वास्थ्य जगत में जो प्रगति हुई इस दिशा में आज परिणाम सबके सामने हैं। पूरे देश में प्रदेश के कोरोना प्रबंधन को एक मॉडल के रूप में रखा गया। इसकी चारो ओर सराहना हुई। कोरोना कालखंड में जब हर व्यक्ति खुद को बचा रहा था तभी एएनएम, आंगनबाड़ी, आशा बहनें, पैरामेडिकल स्टाफ, चिकित्सक सरकारी अस्पतालों में इलाज की सुविधा दे रहे थे। इस दौरान एक समय ऐसा भी आया जब निजी संस्थान बंद हो गए। ऐसे समय में पूरी पारदर्शी तरीके से हुई भर्ती का ही नतीजा था कि सभी को बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधा देने, फ्री टेस्ट, फ्री उपचार, गांव में हर घर के प्रत्येक व्यक्ति की स्क्रीनिंग की व्यवस्था इनके द्वारा की गई।
स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ आप सभी हैं
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्टाफ नर्सेज को उत्तम प्रशिक्षण देने के लिए आज हर सरकारी मेडिकल कॉलेज में नर्सिंग कॉलेज स्थापित किए जा रहे हैं। जिला अस्पताल में इस तरह के प्रशिक्षण के कार्यक्रम को तेजी के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है। यह क्षेत्र ऐसा है जिसमें नौकरी की कमी नहीं है, लेकिन उत्तम प्रशिक्षण जरूरी है। देश-प्रदेश ही नहीं दुनिया में तमाम जगहों पर इस क्षेत्र में पद खाली पड़े हुए हैं। आबादी के अनुसार चिकित्सक और स्टाफ नर्सेज का रेश्यू है, लेकिन आज भी देश और दुनिया में इनकी कमी बरकरार है। ऐसे में इस कमी को पूरा किया जा सके, इस दिशा में प्रदेश सरकार ने बड़े कदम उठाए हैं। प्रदेश में विगत पांच वर्ष के अंदर मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी आई है। एनीमिया से जुड़ी चुनौतियों को कम करने में सफलता मिली है। टीकाकरण की कार्रवाई में व्यापक सुधार हुआ है। ऐसे में सभी स्टाफ नर्सेज, चिकित्सक और कर्मियों से आग्रह है कि वह डाटा अपलोड के काम से भी जुड़ें ताकि हम देश और दुनिया में अपने काम को दिखा सकें। प्रदेश सरकार संचारी रोगों को लेकर काफी सर्तक है। यही वजह है कि साल में हर चार माह में संचारी रोग नियंत्रण और दस्तक अभियान के माध्यम से जन जागरुकता कार्यक्रम को चलाया जाता है। प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा आयुष्मान गोल्डन कार्ड बने, इसके लिए हमे लोगाें को जागरूक करना चाहिए ताकि समय आने पर वह इसका लाभ उठा सकें। इसमें आपकी (स्टाफ नर्सेज) बड़ी भूमिका हो सकती है क्योंकि स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ स्टाफ नर्स होती हैं। चिकित्सक और नर्स को मरीज के प्रति अपने व्यवहार को ठीक रखना होगा क्योंकि अच्छे बर्ताव और इलाज से मरीज जल्दी ठीक होता है।
तकनीक से जुड़ें चिकित्सक, स्टाफ नर्सेज
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज तकनीक का युग है। ऐसे में प्रदेश के दूरदराज इलाके जहां पर चिकित्सक नहीं पहुंच पा रहे हैं, वहां टेलीमेडिसिन और टेलीकंसल्टेशन की सुविधा से जोड़ने की कार्रवाई को तेजी के साथ आगे बढ़ाना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना कालखंड में जहां बीमार, वहीं उपचार का मंत्र दिया था। इसे ध्यान में रखते हुए टेलीमेडिसन के जरिए मरीज को पहले ही इलाज की सुविधा उपलब्ध करा दी जाए तो प्रदेश के मेडिकल कॉलेज में केवल गंभीर मरीज ही आएंगे, इससे इलाज की व्यवस्था में भी खासा सुधार होगा। आज प्रदेश सरकार केंद्र सरकार के साथ मिलकर वन डिस्ट्रिक वन मेडिकल कॉलेज के निर्माण की कार्रवाई के साथ तेजी से आगे बढ़ रही है।