पुरुषों में आत्महत्या के बढ़ते मामले: जानें एक्सपर्ट से कैसे पाएं नकारात्मक विचारों पर काबू !

नोएडा: देशभर में आत्महत्या की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। ताजा घटनाओं में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एडवोकेट अनुपम तिवारी ने इंदिरा डैम में कूदकर जान दे दी।
इंदौर में एक बैंक में सेल्स एग्जीक्यूटिव के रूप में काम करने वाली युवती ने हाथ की नस काटकर सुसाइड कर लिया। राजस्थान के कोटा में 25 वर्षीय छात्र ने अपने कमरे में पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली। वहीं, दिल्ली में एक कारोबारी ने परिवार समेत जहरीला पदार्थ पीकर अपनी जान दे दी।
डराने वाले आंकड़े: हर दिन 468 आत्महत्याएं
हर दिन आत्महत्या की खबरें सुर्खियों में रहती हैं, जो समाज के मानसिक स्वास्थ्य पर एक गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती हैं। आंकड़ों के अनुसार, भारत में प्रतिदिन 468 से अधिक लोग आत्महत्या कर रहे हैं। चिंताजनक बात यह है कि इनमें से लगभग 72 प्रतिशत पुरुष होते हैं। यह तथ्य दर्शाता है कि पुरुषों की मानसिक सेहत पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
मेंटल हेल्थ अवेयरनेस मंथ: पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य पर जोर
हर साल मई महीने को ‘मेंटल हेल्थ अवेयरनेस मंथ’ के रूप में मनाया जाता है। इस बार की थीम है – “In Every Story, There’s Strength”। इस थीम के जरिए यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि हर कहानी में संघर्ष के बावजूद ताकत होती है। इस बार विशेष रूप से पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य पर जोर दिया जा रहा है, क्योंकि आत्महत्या के मामलों में पुरुषों की संख्या ज्यादा है।
मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान क्यों जरूरी है?
मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं, जैसे अवसाद और तनाव, आत्महत्या का प्रमुख कारण बनती हैं। अक्सर पुरुष अपनी भावनाओं को साझा नहीं कर पाते और मानसिक दबाव में आकर आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठा लेते हैं। समाज में पुरुषों से अपेक्षा की जाती है कि वे भावनात्मक रूप से मजबूत रहें, लेकिन यह सोच बदलने की आवश्यकता है।
समाधान की दिशा में कदम
मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता फैलाने की जरूरत है। परिवार और दोस्तों का सहयोग, मानसिक स्वास्थ्य पर खुलकर बात करना और पेशेवर मदद लेना आत्महत्या के मामलों को कम कर सकता है। मेंटल हेल्थ अवेयरनेस मंथ का उद्देश्य भी यही है कि समाज में मानसिक समस्याओं को कलंक न माना जाए और जरूरतमंद लोगों को समय पर सहायता मिले।