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लखनऊ : कोरोना से राजधानी में मचा हाहाकार, एक दिन में 98 कोविड शवों का अंतिम संस्कार, लगातार बढ़ रहे केस, कोई ठोस कदम नहीं उठा रही सरकार।

कोरोना मामले में यूपी के लखनऊ की हालत सबसे ज्यादा नाजुक।

कोरोना नाम मात्र सुनकर ही उन दिनों की तस्वीर आँखों के सामने नजर आने लगती है, जब पूरी दुनियां अचानक से एक जगह पर रुक गई थी। देश -विदेश, हर शहर ,हर कस्बे की वो शोर -शराबों वाली सड़कें ,घंटो लगने वाले ट्रॅफिक्स वाले चौराहे , बाजारों में लोगों की भीड़ और उनकी आवाजें सब सुना पड़ा था ,हर जगह एक ही चीज़ नज़र आ रहा था,वो था सन्नाटा। एक खौफनाक मंजर था। दुनियां का हर छोटा और बड़ा तबके का व्यक्ति कोरोना से अपनी जान बचाने के लिए खुद को एक कमरे में कैद कर रखा था। इस संक्रमण से लाखों लोगो की जान गई ,आलम यह था की लाशों को दफ़नाने के लिए 2 गज की जगह भी मिलना मुश्किल था। यह भयानक तस्वीर थी 2020 की।

2021 में आया कोरोना का बड़ा रूप।
लेकिन अगर हम बात करें 2021 की तो कोरोना का संक्रमण पहले से कहीं ज्यादा है। जी हाँ कोरोना का प्रकोप एक बार फिर चरम सीमा पर है। अगर हम देश – दुनियां को छोड़कर केवल उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां पिछले 24 घंटे में 20,510 नए मामले सामने आए हैं,और 68 लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य में सबसे ज्यादा गम्भीर हालत राजधानी लखनऊ की है। जिसमेँ अकेले लखनऊ में 5,433 संक्रमण के केस आए हैं। कई बड़े अधिकारी के अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व पूर्व सीएम अखिलेश यादव भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। यहां ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए एजेंसी के बाहर लंबी लाइन लगी हुई है। ऑक्सीजन की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन सप्लाई नहीं हो पा रही है जिसकी वजह से लोगों को काफी लम्बा इंतज़ार करना पड़ रहा है।

कोरोना के आकड़ो पर उठे सवाल।
अब इन सब के बीच कोरोना मामलों के जारी आंकड़ों को लेकर एक बार फिर विवाद शुरू हो गया है,इन आंकड़ों की सही संख्या क्या है इस पर काफी विवाद बना हुआ है। जहां एक तरफ बुधवार को स्वास्थ्य विभाग ने जारी आंकड़ों में कोविड से लखनऊ में 14 ,समेत पूरे प्रदेश में 68 मौतों का दावा किया है। वहीं दूसरी तरफ अकेले लखनऊ के कोविड शवदाहगृहों में बुधवार रात 9 बजे तक 98 कोविड शवों का अंतिम संस्कार किया गया।अधिकारियों के मुताबिक नौ बजे के बाद भी कुछ शव बाहर शव वाहनों में पड़े हुए थे, जिनका दाह किया जाना बाकी था। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि जब पूरे प्रदेश में कोविड से महज 68 मौतें हुईं तो अकेले लखनऊ में ही कोविड से मरे 98 शवों का अंतिम संस्कार कैसे हो गया? नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि बैकुंठ धाम पर 61 और गुलाला घाट पर 37 बॉडी का अंतिम संस्कार किया गया। यह आंकड़ा भी प्रदेश में मरने वालों के आंकड़े से ज्यादा था। वहीं, जानकारों की मानें तो होम आइसोलेशन में होने वाली मौतों को सरकारी आंकड़े में न जोड़ने की वजह से ऐसा हो रहा है।

वोट बटोरने में लगी सरकार, सड़क पर लाशो का कर रही इंतज़ार।

इतनी गंभीर हालत ,कि हर वक्त सुरक्षा के घेरे में रहने वाले बड़े – बड़े अधिकारी भी इस संक्रमण से नहीं बच पाए तो आम जनता कैसे बच सकती है। यह एक बड़ा सवाल सरकार के सामने खड़ा है कि 2020 की अपेक्षा 2021 में कोरोना के मरीजों की संख्या और मौत का आंकड़ा इतना ज्यादा है लेकिन फिर भी सरकार किसी तरह का ठोस कदम क्यों नहीं उठा रही है ?कब वह इस विषय को गंभीरता से लेगी ? क्या सरकार उस समय का इंतज़ार कर रही है जब सड़को पर लावरिशों की तरह लाशें पड़ी नजर आएंगी ?या फिर बंगाल से वोटें बटोरने के बाद।

मधुमिता वर्मा

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