प्रयागराज (FBNews) : प्रयागराज में महाकुंभ को ज्ञान एवं प्रकाश के स्रोत के रूप में सभी कुंभ पर्वो में व्यापक रूप से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है। सूर्य जो ज्ञान का प्रतीक है, इस त्योहार में उदित होता है। शास्त्रीय रूप से यह माना जाता है कि ब्रह्मा जी ने पवित्रतम नदी गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर दशाश्वमेघ घाट पर अश्वमेघ यज्ञ किया था और सृष्टि का सृजन किया था। यह वैश्विक समागम 13 जनवरी से प्रारंभ हो रहा है। महाकुंभ का आयोजन 12 साल में एक बार होता है। लेकिन इसकी विभिन्न श्रेणियां हैं, जैसे महाकुंभ, अर्ध कुंभ और पूर्ण कुंभ व कुंभ। आइए जानते हैं इनके अंतर को।
कुंभ मेला
कुंभ मेले का आयोजन प्रत्येक तीन साल में एक बार होता है और यह चार प्रमुख स्थानों हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और प्रयागराज में होता है। यह काफीकम समय के लिए होता है और इसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं।
अर्धकुंभ मेला
अर्ध कुंभ मेला हर छह साल में एक बार होता है। यह आयोजनदो प्रमुख स्थानों हरिद्वार और प्रयागराज में किया जाता है। इस मेले में देशभर से लाखों लोग गंगा स्नान के लिए आते हैं।
पूर्ण कुंभ
पूर्ण कुंभ मेला हर बार साल में एक बार आयोजित होताहै। यह चार प्रमुख स्थानों हरिद्वार, नासिक, उज्जैन और प्रयागराज में आयोजन होता है। इसमें विशेष रूप से तात्कालिक श्रद्धालुओं की संख्य बहुत अधिक होती है।
महाकुंभ मेला
महाकुंभ मेला144 वर्षों में एक बार होता है। सौभाग्य से यह संयोग इस बार आ रहा है। इस मेले का आयोजन प्रयागराज में होता है। यह कुंभ मेले का सबसे बड़ा आयोजन होता है। यह हरेक किसी के लिए एक एतिहासिक अवसर है। महाकुंभ 2025 का आयोजन विशेष रूप से ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिसे महत्वपूर्ण है। इसमें देश-विदेश के करोड़ों श्रद्धालु पावन संगम में स्नान करके पुण्य का लाभ उठाते हैं। महाकुंभ का आयोजन विशेष धार्मिक महत्व रखता है, क्योंकि यह विशेष पूजा और श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है।