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अवलोकनः सिंधी संतों ने सिंधी अध्ययन केंद्र को देखा, की सराहना

कहा,सिंधी विषय से भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बनकर करें देश की सेवा

अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या में भारत सरकार के नियंत्रणाधीन राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद् के वित्तपोषण से संचालित अमर शहीद संत कँवरराम साहिब सिंधी अध्ययन केंद्र को देश के विभिन्न भागों से आए सिंधी संतों ने आज बुधवार को देखा। उन्होंने यहां की गतिविधियां जानकर भूरि-भूरि प्रशंसा की। अध्ययन केंद्र का भ्रमण करने वाले संतों में प्रेमप्रकाश मण्डल, अमरापुर-जयपुर के पीठाधीश्वर स्वामी भगत प्रकाश और यहीं से संत मनोहरलाल, संत ढालूराम, संत कमल, गोंदिया महाराष्ट्र के संत लखीराम, दिल्ली के भगत दीपक, आगरा के भगत हरदासराम, खैरथल के भगत माणिक, गांधीधाम के संत कमल के अलावा भगत गोवर्धनदास, भगत दयालदास, भगत कैलाश, साईं जयकुमार, साईं महेंद्रलाल आदि शामिल थे।

संतों का किया सम्मान

अध्ययन केंद्र की ओर से मानद निदेशक प्रो. आरके सिंह और सलाहकार ज्ञानप्रकाश टेकचंदानी ’सरल’ ने संतों को केंद्र की ओर से अंगवस्त्र भेंटकर उनका स्वागत किया और केंद्र की गतिविधियों को विस्तार से बताया।

स्वामी भगत प्रकाश ने विद्यार्थियों से की बात

स्वामी भगत प्रकाश ने इस अवसर पर सिंधी विद्यार्थियों से बातचीत करते हुए कहा कि वे सिंधी विषय लेकर आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) के अधिकारी बनें और देश की सेवा करें। उन्होंने बताया कि सिंधी भाषा तब से बोली जाती है जब से वेदों की रचना हुई है। उन्होंने दूसरी शताब्दी में भरत मुनि के लिखे नाट्यशास्त्र का संदर्भ देते हुए बताया कि वे उस समय के नाटक लेखकों को यह निर्देश देते हैं कि वे जब भी सिंधु सौवीर के दर्शकों के लिए नाटक लिखें तो वह उकारांत शब्दों का प्रयोग करें। स्वामी भगत प्रकाश ने बताया कि अपभ्रंश काल की उकार बहुला सिंधी भाषा आजतक सिंधी में प्रयोग हो रही है।

सिंधु संस्कृति में रुचि दिखाई

स्वामी भगत प्रकाश ने सिंधी अध्ययन केंद्र के पुस्तकालय में रखी सिंधी पुस्तकों तथा सिंधु संस्कृति के प्रतीकों में गहरी रुचि दिखाई और कहा कि वे शीघ्र ही सिंधी साहित्य की अनेक प्राचीन पुस्तकें भेजकर केंद्र के पुस्तकालय को और समृद्ध करेंगे।

इस मौके पर नगर के अनेक गणमान्य सिंधी नागरिक जयप्रकाश, विश्वप्रकाश, बलरामदास, अमन विक्रम, अनीता आदि उपस्थित थे।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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