दर्द बहुत बड़ाः ‘द केरल स्टोरी’ में उठाए गए मुद्दे का दर्द पहले ही समझ गई थे मुख्यमंत्री
उप्र में 27 नवंबर 2020 के बाद से धर्मांतरण के 433 मामले दर्ज, 855 आरोपी किए गए गिरफ्तार, केरल हाईकोर्ट ने भी टिप्पणी की थी कि प्यार के नाम पर जबरन मतांतरण कराया जा रहा
लखनऊ। ‘द केरल स्टोरी’ में बयां किए गए लव जेहाद पीड़िताओं औऱ धर्मांतरण का दर्द वास्तव में बहुत बड़ा है। हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी कैबिनेट ने तो शुक्रवार को यह फिल्म देखी, लेकिन इसका दर्द बहुत पहले ही महसूस कर चुके थे। यही कारण है कि इसके खिलाफ कड़े कदम बहुत पहले ही उठा लिए थे। उत्तर प्रदेश में लव जेहाद और धर्मांतरण पर अंकुश लगाने के लिए 27 नवंबर 2020 को कानून विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 लागू किया गया था। पिछली सरकारों की लचर कार्यप्रणाली से पीड़िताओं को न्याय नहीं मिल पाता था। इस अध्यादेश के बाद लव जेहाद और धर्मांतरण के आरोपियों के खिलाफ पुरजोर कार्रवाई कर नजीर पेश की। कानून को लागू करने और पालन कराने में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सबसे तेजी से पहल की।
केरल हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी
यहां उल्लेखनीय है कि केरल हाई कोर्ट के न्यायाधीश ने 9 दिसंबर 2009 को दिए गए अपने फैसले में जबरन धर्मांतरण के मामले में सख्त टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि प्यार के नाम पर यहां जबरन धर्मांतरण कराए जा रहे हैं। सरकार को इस तरह की गतिविधियों को रोकने के लिए कानून बनाना चाहिए।
उप्र में 433 मामले दर्ज, 855 लोग गिरफ्तार
उत्तर प्रदेश में 27 नवंबर 2020 से 30 अप्रैल 2023 तक धर्मांतरण से जुड़े 433 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें अब तक 855 से अधिक की गिरफ्तारी हो चुकी है। 184 मामलों में पीड़िताओं ने न्यायालय के समक्ष जबर्दस्ती धर्म बदलवाने की बात भी कबूल की है। नाबालिगों के धर्मांतरण के अब तक 66 मामले दर्ज किए जा चुके हैं।
बरेली जोन में सर्वाधिक मामले दर्ज
उत्तर प्रदेश में धर्म परिवर्तन से जुड़े 433 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें बरेली जोन में सबसे अधिक 86 मुकदमें दर्ज हैं। गोरखपुर में 61, लखनऊ में 55, मेरठ में 47, प्रयागराज में 46, वाराणसी में 40 मामले दर्ज किए जा चुके है। कमिश्नरेट की बात करें तो लखनऊ और कानपुर में 20-20, प्रयागराज में 14, नोएडा में 10 मामले दर्ज किए गए हैं।
प्रयागराज में सबसे अधिक गिरफ्तारी
धर्मांतरण कराने वाले आरोपियों की गिरफ्तारी की बात करें तो सबसे अधिक प्रयागराज जोन में आरोपियों की गिरफ्तारी की गई। प्रयागराज जोन की पुलिस ने 163 आरोपियों को धर-दबोचा। बरेली में 137 गिरफ्तारियां की गईं। लखनऊ में 124, वाराणसी में 115, गोरखपुर में 86, मेरठ में 65, आगरा जोन में 37, कानपुर में धर्मांतरण के 21 आरोपी पुलिस के हत्थे चढ़े।
उप्र में हाल में हुए अपराधियों पर हुई कार्रवाई
कौशांबी के पश्चिम शरीरा थाना क्षेत्र के आषाढा गांव में इसी साल फरवरी में महिला का शव उसके घर में मिली थी। महिला मऊ से आकर प्रेमी आरिफ के साथ दो बेटियों को लेकर रह रही थी। शुरुआती जांच में आरिफ पर लव जेहाद, संपत्ति हड़पने और धर्म परिवर्तन कराने का आरोप लगा था। महिला के पहले पति की मौत के बाद उसकी संपत्ति के कारण ऐंबुलेंस चालक आरिफ ने उसे अपनी जाल में फंसा लिया। आरिफ ने चंदा नामक महिला की संपत्ति को हड़पने के लिए आषाढा गांव में जमीन खरीद कर घर बनवा लिया। इसके बाद वह लगातार चंदा को इस्लाम मजहब को अपनाने के दबाव बनाने लगा था। जांच में आरिफ के मां-बाप और सौ से अधिक अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। इसमें पुलिस ने आरिफ को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
बरेली में 23 जून 2022 को एक छात्रा को मुस्लिम युवक फिरोज उत्तराखंड के कलियर ले गया था। मजार में जबरन इबादत के तरीके सिखाए। निकाह के लिए दबाव बनाया। पुलिस ने सूचना पर तत्काल मुकदमा दर्ज कर आरोपी को जेल भेज दिया। 25 अगस्त 2022 को पीलीभीत के जहानाबाद का रहने वाला चांद बाबू डॉ. विशाल बनकर मुरादाबाद की हिंदू युवती से मिला। उसके आपत्तिजनक फोटो और वीडियो बनाए। उसके धर्मांतरण की कोशिश की। वह पहले से ही दो बच्चों का पिता था। पुलिस ने उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेज दिया। बरेली के इज्जतनगर का निवासी वसीम अंसारी, रवि शर्मा बनकर हिंदू युवती से मिला। दोनों की दोस्ती हो गई। पांच साल तक उसने शारीरिक शोषण किया। जब युवती को फेसबुक के जरिये उसकी असली नाम पता लगा तो उसने मुकदमा दर्ज करा दिया। वसीम अंसारी टाइल्स मिस्त्री निकला। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
धर्मांतरण कराने वालों पर सजा का प्रावधान
उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण कराने वालों पर योगी सरकार की सख्ती का असर है कि ऐसे मामले अब नजर नहीं आ रहे। प्रदेश में 27 नवंबर 2020 में गैर कानूनी धार्मिक रूपांतरण निषेध कानून लागू किया गया। इसके तहत उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण कानून के तहत दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को अपराध की गंभीरता के आधार पर 10 साल तक की जेल हो सकती है। कानून में जुर्माने की राशि 15 हजार से 50 हजार तक है। अंतर-धार्मिक विवाह करने वाले जोड़ों को शादी करने से दो महीने पहले जिला मजिस्ट्रेट को सूचित करना होता है। जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर न्यूनतम 15 हजार रुपये के जुर्माने के साथ एक से पांच साल की कैद की सजा का प्रावधान है। एससी/एसटी समुदाय के किशोरियों और महिलाओं के धर्मांतरण पर तीन से 10 साल की सजा का प्रावधान है। जबरन सामूहिक धर्मांतरण के लिए तीन से 10 साल जेल और 50 हजार रुपये जुर्माना लगेगा। कानून के मुताबिक अगर विवाह का एकमात्र उद्देश्य महिला का धर्म परिवर्तन कराना था तो ऐसी शादियों को अवैध करार दिया जाएगा।