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गुहारःनिजी स्कूलों से फीस वापस कराने के लिए अभिभावकों ने विधायक को ज्ञापन दिया

विधायक धीरेंद्र सिंह से की शिकायत, हाई कोर्ट के आदेश व शासनादेश के जारी होने के बाद भी निजी स्कूल कोरोना काल का 15 फीसद फीस वापस नहीं कर रहे

ग्रेटर नोएडा वेस्ट। निजी स्कूलों द्वारा कोरोना काल में वसूले गए फीस का 15 प्रतिशत वापस कराने की मांग को लेकर अभिभावकों ने विधायक धीरेंद्र सिंह से गुहार लगाई है। उन्होंने इस सिलसिले में भाजपा विधायक को ज्ञापन भी दिया। ज्ञापन में उन्होंने जिला प्रशासन और जिला विद्यालय निरीक्षक की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाए हैं।

निजी स्कूल आदेशों का नहीं कर रहे पालन

एनसीआर पैरेंट्स एसोसिएशन के संस्थापक सुखपाल सिंह तूर कहा कि निजी स्कूल उच्च न्यायालय, उत्तर प्रदेश सरकार के शासनादेश एवं गौतमबुद्ध नगर जिले के जिलाधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक सहित अन्य द्वारा फीस वापसी के दिए गए आदेशों व शासनादेश का अनुपालन नहीं कर रहे हैं।

क्या कहा गया है ज्ञापन में

विधायक को दिए गए ज्ञापन में निजी स्कूलों की शिकायत के साथ ही गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी और जिला विद्यालय निरीक्षक पर इस मामले में टाल-मटोल का रवैया अपनाने और महज खानापूर्ति करने की शिकायत की गई है।

तूर ने बताया कि निजी विद्यालयों द्वारा उच्च न्यायलय के आदेश एवं शासनादेश का अनुपालन नहीं करने पर जिला शुल्क नियामक कमेटी (डीएफआरसी) के अध्यक्ष एवं जिलाधिकारी ने दिनांक 24 अप्रैल को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जिले के 100 से अधिक निजी विद्यालयों पर 1-1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। लेकिन जिला विद्यालय निरीक्षक ने आज तक उन विद्यालयों के नाम सार्वजनिक नहीं किए हैं और न ही जिलाधिकारी कार्यालय या जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर चस्पा किया गया है। अर्थदण्ड लगाने के बाद जिला विद्यालय निरीक्षक ने प्रेस को बताया था कि कई विद्यालयों ने फीस समायोजित कर दिया है। लेकिन किन विद्यालयों ने आदेश का पालन किया और किन विद्यालयों ने नहीं, ये लिस्ट सार्वजनिक नहीं की गई है। दूसरी ओर अभिभावक लगातर विद्यालयों पर फीस समायोजित नहीं करने की शिकायत कर रहे हैं।

गुमराह करने का आरोप

सुखपाल सिंह ने निजी स्कूलों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के नाम पर अभिभावकों को गुमराह करने का आरोप लगाया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों के फीस समायोजित करने के फैसले पर कोई रोक न लगाते हुए केवल विद्यालय से अध्ययन बाद निकल चुके विद्यार्थियों को फीस वापस करने पर अगले सुनवाई तक रोक लगाई है। याचिका दायर करने वाले विद्यालयों को पिछले 4 साल (01-04-2018 से 31-03-2022) तक की बैलेंसशीट और प्रॉफिट-लॉस का लेखा-जोखा उपलब्ध कराने का आदेश दिया है।

अधिकारियों की कार्य शैली पर उठाए सवाल

ज्ञापन के माध्यम से जिलाधिकारी और जिला विद्यालय निरीक्षक की कार्यशैली पर सवाल उठाया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से न्याय की गुहार लगाई गई है। उच्च न्यायलय ने 6 जनवरी 2023 को पारित आदेश में 60 दिन के अंदर स्कूलों को आदेश का अनुपालन करने के लिए कहा था लेकिन 120 दिन हो गए हैं लेकिन न तो आदेश का अनुपालन हुआ और न ही अधिकारियों ने अनुपालन कराया।

पूछे सवाल

सवाल किया गया है कि आखिर क्या बात है कि जिलाधिकारी और जिला विद्यालय निरीक्षक जिन सौ से अधिक स्कूलों पर जुर्माना लगा चुके हैं उनकी लिस्ट सार्वजानिक नहीं की जा रही है। जिन स्कूलों ने फीस वापसी आदेश का अनुपालन कर अनुपालन आख्या डीएम व डीआईओस कार्यालय को उपलब्ध करा दिया है उनकी सूची सार्वजनिक करने में ऐतराज क्यों है? क्यों ये नहीं स्कूलों की सूची आधिकारिक वेबसाइट पर साझा की जा रही है?

ये लोग रहे मौजूद

विधायक को ज्ञापन देने के अवसर पर एनसीआर पैरेंट्स एसोसिएशन के संस्थापक सुखपाल सिंह तूर के साथ नेफोवा अध्यक्ष अभिषेक कुमार, मनीष कुमार, दीपांकर कुमार, हिमांशु, मनीष त्रिपाठी, दिनकर पांडेय, मिहिर गौतम, पुनीत चौहान, नीरज श्रीवास्तव आदि अभिभावक मौजूद रहे।

 

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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