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जीर्णोद्धारःअयोध्या की सबसे बड़ी पौराणिक झील समदा के बहुरेंगे दिन

मान्यता है कि इस झील पर पक्षी भगवान राम का गुणगान करते थे, पौराणिकता व ऐतिहासिकता से लोग हो सकेंगे रूबरू

अयोध्या। धार्मिक नगरी अयोध्या से जुड़े पौराणिक स्थल फिर से अपनी अलग पहचान बनाएंगे। ऐसे ही स्थलों में शामिल समदा झील के दिन बहुरने शुरू हो गए हैं। इसमें व्यापक सुधार और आकर्षक बनाने के प्रयास राज्य की योगी सरकार ने शुरू कर दिए हैं। पहले चरण का करीब 75 फीसद काम पूरा भी हो चुका है। बाकी अन्य कार्य दूसरे चरण में होंगे।

67 एकड़ में फैली है झील

अयोध्या जिला मुख्यालय से करीब 16 किलोमीटर दूर सोहावल तहसील क्षेत्र के ग्राम पंचायत कोला भिटौरा मोइयाकपुर सहित तीन ग्राम पंचायतों में 67 एकड़ में फैली समदा सबसे बड़ी झील है। इसके जीर्णोद्धार के लिए तेजी से काम शुरू हो चुका है।

समदा नदी बनी थी समदा झील

अयोध्या की समदा झील ऐतिहासिक और पौराणिक है। पौराणिक मान्यता है कि यह प्रभु श्रीराम के समय से काफी पहले से ही अस्तित्व में है। यहां से प्रवाहित होने वाली समदा नदी जब सूख गई तो उस समय कुछ अवशेष के रूप में इस झील को छोड़ गई थी।  इसे अब समदा झील के रूप में जाना जाता है। यहां मान्यता है कि इस झील पर पक्षियों का समूह भगवान राम का गुणगान करता था। उस समय स्थानीय लोग पक्षियों की मधुर आवाज सुनने के लिए बैठे रहते थे। इस झील के जीर्णोद्धार के लिए जिला प्रशासन ने 2017 और उससे पहले भी प्रयास कर चुका है, लेकिन लाखों खर्च करने के बावजूद हालात नहीं सुधरी। अब जबकि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आई तो फिर से कोशिशें शुरू कर दी गईं। सरकार का प्रयास है कि इस झील की पौराणिकता को वर्तमान पीढ़ी जाने।

प्रवासी पक्षी यहां होते हैं जमा

इस झील की विशेषता है कि यहां स्थानीय पक्षियों के साथ ही साइबेरियाई, ऑस्ट्रेलियाई, नेपाली सहित विभिन्न देशों के पक्षी आते हैं। फिर कुछ महीने के प्रवास के बाद वे वापस चले जाते हैं। आसपास के जिलों के लोग यहां के विहंगम दृश्य को देखने के लिए बड़ी संख्या में आते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि झील के कायाकल्प के बाद यहां पक्षियों के लिए भी सुरक्षा का माहौल तैयार हो जाएगा।

बनाया जा रहा बंधा, 75 फीसद कार्य पूरा

झील का जीर्णोद्धार अयोध्या विकास प्राधिकरण करा रहा है। जीर्णोद्धार से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि अभी मिट्टी डालने का काम चल रहा है। बंधा बनाया जा रहा है। यहां 75 फीसद काम पूरा हो चुका है। यह परियोजना मई में शुरू की गई थी। अक्टूबर तक इसे पूरा करने का लक्ष्य है। इस पर 8.33 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। शेष कार्य दूसरे चरण में किया जाएगा।

 

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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