उत्तर प्रदेशलखनऊ

समीक्षाः मॉनसून की स्थिति की हुई समीक्षा, मुख्यमंत्री ने दिए अधिकारियों को दिशा-निर्देश

सभी परिस्थितियों के लिए तैयार रहे अधिकारी, बारिश के हिसाब हो तैयारी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में अब हुई बारिश और उससे उत्पन्न हुई परिस्थितियों की समीक्षा की। समीक्षा के बाद उन्होंने अधिकारियों से कहा कि दक्षिणी पश्चिमी मॉनसून के प्रभाव से इस वर्ष 13 जुलाई तक मात्र 76.6 मिलीमीटर ही वर्षा हुई है। जो सामान्य वर्षा 199.7 मिलीमीटर से लगभग 62% कम है। इस बीच एक मात्र आगरा जिला ऐसा रहा जहां सामान्य वर्षा हुई। ललितपुर, फिरोजाबाद, वाराणसी और हापुड़ में सामान्य (80% से 120%), खीरी, देवरिया, एटा और बिजनौर में सामान्य से कम (60%-80%) वर्षा हुई है। 19 जिले ऐसे हैं यहां अब तक सामान्य से 40% से 60%  तक ही वर्षा दर्ज की गई है। किसानों/फसलों  की स्थिति को देखते हुए हमें सभी परिस्थितियों के लिए तैयार रहना होगा।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में आमतौर पर 15 जून तक बारिस का मौसम प्रारंभ हो जाता रहा है, जो 15 सितंबर तक जारी रहता है। खेती-किसानी की समृद्धि के लिए यह प्राकृतिक वर्षा अमृत है। इस बार मॉनसून में देरी है। हालांकि प्राकृतिक वर्षा जल से सिंचाई के साथ ही सरकार ने नहरों, नलकूपों के विस्तार से सिंचाई सुविधा को बेहतर बनाया है। ताजा स्थिति के अनुसार सभी प्रमुख नदियों, नहरों और जलाशयों में पर्याप्त जलराशि है। यह संतोषप्रद स्थिति है।

कम वर्षा से बोवाई प्रभावित

उन्होंने कहा कि अल्प वर्षा के कारण खरीफ फसलों की बोआई प्रभावित हुई है। खरीफ अभियान 2022-23 के अंतर्गत 13 जुलाई की अद्यतन स्थिति के अनुसार प्रदेश में 96.03 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य के सापेक्ष 42.41 लाख हेक्टेयर की बोआई हो सकी है, जो कि लक्ष्य का मात्र 44.16% ही है। इसमें 45% हिस्सा अकेले धान की बोआई का है। बीते वर्ष इसी तिथि तक 53.46 लाख हेक्टेयर भूमि पर बोआई हो चुकी थी।

सभी परिस्थितियों के लिए तैयार हो कार्ययोजना

मुख्यमंत्री ने कहा कि मौसम वैज्ञानिकों के आंकलन के अनुसार 18 जुलाई से अच्छी वर्षा की संभावना है। यद्यपि विलंब से बोआई उपज को प्रभावित करती है। किंतु हमें वैकल्पिक प्रबंध के संबंध में तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा कि सभी परिस्थितियों के लिए हमारी कार्ययोजना तैयार रहनी चाहिए। कृषि, सिंचाई, राहत , राजस्व आदि सम्बंधित विभाग अलर्ट मोड में रहें। प्रत्येक जनपद में कृषि विज्ञान केंद्रों, कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि वैज्ञानिकों के माध्यम से किसानों से सतत संवाद बनाये रखें। उन्हें सही जानकारी उपलब्ध हो।

उन्होंने कहा कि बांदा, चंदौली, हमीरपुर, देवरिया, जालौन जिलों के साथ ही बलिया, बस्ती, गोरखपुर, महराजगंज, संतकबीरनगर और श्रावस्ती जैसे जिलों पर विशेष ध्यान दिया जाना अपेक्षित है। उन्होंने कहा कि अगले एक सप्ताह हमारे लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। ऐसे में यह सुनिश्चित करें कि कहीं भी पेयजल का अभाव न हो। विंध्य और बुंदेलखंड में पेयजल की सुचारु आपूर्ति बनी रहे। वन विभाग वन्य जीवों के लिए तथा पशुपालन विभाग पशुओं के पेयजल की व्यवस्था बेहतर बनाए रखें। बरसात पर निर्भर जलाशयों में जल की उपलब्धता के लिए विशेष प्रयास किए जाएं।

 

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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