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संकष्टी चतुर्थी 2025: भगवान गणेश की इस आरती से दूर होंगी जीवन की सभी बाधाएं, बरसेगी गौरीनंदन की कृपा !

नोएडा: संकष्टी चतुर्थी हिंदू धर्म में भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, लेकिन साल में आने वाली कुछ विशेष संकष्टी चतुर्थियाँ विशेष फलदायी मानी जाती हैं। 2025 में यह पर्व एक बार फिर श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाएगा।

संकष्टी चतुर्थी का महत्व

भगवान गणेश को ‘विघ्नहर्ता’ और ‘संकटमोचक’ कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं। खास तौर पर चंद्रमा के दर्शन और गणपति की आरती करने से मानसिक शांति और सुख-समृद्धि का वरदान प्राप्त होता है।

आरती का विशेष महत्व

गणपति की आरती करना केवल एक धार्मिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक ऊर्जा का संचार है। जब भक्ति भाव से आरती की जाती है, तो घर में सकारात्मकता बढ़ती है और नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं। आरती के माध्यम से हम भगवान गणेश का आह्वान करते हैं कि वे हमारे जीवन से विघ्नों को दूर करें और सफलता के मार्ग प्रशस्त करें।

ये आरती जरूर करें

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

इस आरती को संकष्टी चतुर्थी की शाम गणेश प्रतिमा के सामने दीप जलाकर करें। आरती के साथ दूर्वा, मोदक और लाल फूल अर्पित करें। आरती के बाद भगवान से अपनी मनोकामनाएं कहें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।

कैसे करें पूजा

1. व्रतधारी दिन भर उपवास रखते हैं और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोलते हैं।

2. भगवान गणेश की मूर्ति को स्नान कराकर उन्हें नए वस्त्र पहनाएं।

3. धूप, दीप, नैवेद्य और फूलों से पूजा करें।

4. आरती के बाद कथा का श्रवण करना भी शुभ माना जाता है।

 

निष्कर्ष

संकष्टी चतुर्थी पर की गई गणपति आराधना और आरती से मन को शांति, जीवन को दिशा और कर्मों को गति मिलती है। यदि सच्चे मन से भगवान गणेश का स्मरण किया जाए, तो कोई भी बाधा टिक नहीं सकती। इस चतुर्थी पर आरती जरूर करें और अनुभव करें गौरीनंदन की कृपा का चमत्कार।

 

Divya Gupta

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