उत्तर प्रदेशलखनऊ

चिकित्सीय सुविधाओं से गरीबों के चेहरे पर आ रही मुस्कान

प्रदेश में आयुष्मान से 1.77 करोड़ से अधिक परिवार हुए हैं जुड़े

लखनऊ। देश में समाज के कमजोर वर्गों के लिए निःशुल्क चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का शुभारंभ 2018 में किया था। इससे पहले सितंतर, 2015 तक राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना प्रदेश में लागू थी। इसके बाद प्रदेश में 23 सितंबर, 2018 तक कोई भी स्वास्थ्य बीमा योजना नहीं थी। इस योजना के अन्तर्गत सामाजिक, आर्थिक, जातिगत जनगणना 2011 के आधार पर प्रथमतः 1.16 करोड़ लाभार्थी परिवारों को शामिल किया गया। प्रदेश में यह योजना ट्रस्ट मॉडल पर चलाई जा रही है।

इस योजना के अन्तर्गत 25 विशेषज्ञताओं से संबंधित 2500 से अधिक पैकेज शामिल किए गए हैं, जिनके अन्तर्गत प्रमुख बीमारियों जैसे-हृदय रोग, कैंसर, कूल्हा प्रत्यारोपण, दन्त चिकित्सा एवं विभिन्न शल्य क्रियाएं शामिल हैं। प्रदेश के सामाजिक, आर्थिक रूप से कमजोर बीपीएल परिवारों के सदस्यों को सालाना पांच लाख रुपये तक के निःशुल्क इलाज के लिए आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजनान्तर्गत शामिल किया गया।

आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजनान्तर्गत समान सुविधा एवं साफ्टवेयर का उपयोग करते हुए छूटे हुए परिवारों को शामिल करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान की शुरुआत मार्च 2019 से किया है, जिसमें 08.43 लाख अतिरिक्त परिवार शामिल हुए हैं। उत्तर प्रदेश भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में पंजीकृत 11.65 लाख श्रमिक परिवारों को भी मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान योजनान्तर्गत शामिल किया गया। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अन्तर्गत प्रदेश में अन्त्योदय अन्न योजना में पंजीकृत 40.79 लाख परिवारों को अगस्त, 2021 में मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान के अन्तर्गत शामिल किया गया है। प्रदेश में कुल लाभान्वित परिवारों की संख्या 01.77 करोड़ है, जो कुल जनसंख्या का 37 प्रतिशत है। वर्तमान में 52 प्रतिशत लाभार्थी परिवार आयुष्मान कार्ड से आच्छादित हैं, जो राष्ट्रीय औसत 40 प्रतिशत से अधिक है।

प्रदेश में इस योजना के प्रचार प्रसार हेतु समय-समय पर विभिन्न अभियान चलाए गए है। जिनमें लाभार्थियों के कार्ड घर-घर जाकर बनाए गए। कार्ड बनाने के लिए परिवारों से सम्पर्क करने के लिए आशा एवं ग्राम स्तरीय कार्मिको को मानदेय एवं प्रोत्साहन राशि प्रदान भी की गयी है। नव निर्वाचित प्रधानों को योजना के प्रचार-प्रसार हेतु सरकार ने पत्र प्रेषित कर योजना में सहयोग का अनुरोध किया है। अन्तर्विभागीय समन्वय के आधार पर ग्राम विकास एवं पंचायती राज विभागों से निरन्तर सहयोग लेते हुए जन जागरूकता बढ़ाने के प्रयास किए गए हैं। योजना के संचालन हेतु 2949 चिकित्सालय योजनान्तर्गत आबद्ध हैं जिनमें सरकारी एवं निजी चिकित्सालय सम्मिलित है। 200 से अधिक चिकित्सालय गम्भीर रोगो से संबंधित है। जिनमे कई कार्पोरेट चिकित्सालय जैसे सहारा एवं अपोलो भी शामिल हैं।

भारत सरकार को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम में निहित परिवारों को योजनान्तर्गत शामिल करने का अनुरोध किया गया है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम का डाटा शामिल करने से प्रदेश के 3.58 करोड़ परिवार लाभांवित होंगे एवं योजना के आच्छादन का विस्तार जनसंख्या के 80 प्रतिशत तक हो जाएगा। प्रदेश के गरीब परिवारों को इस योजनान्तर्गत गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा मिल रही है। निःशुल्क चिकित्सीय सुविधाओं से गरीबों के चेहरे पर मुस्कान आ रही है।

 

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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