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उमेश पाल हत्याकांडः दो शूटरों की पुलिस को मिली लोकेशन, टीम बिहार गई

विजय उर्फ उस्मान के लड़खड़ाने के बाद गुलाम व अरमान ने संभाला था मोर्चा, उमेश पाल व सुरक्षा कर्मियों को दौड़ाकर मारी थी गोली

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश पुलिस को उमेश पाल और उनकी सुरक्षा में लगे सुरक्षा कर्मियों की हत्याकांड में शामिल बाहुबली पूर्व सांसद अतीक अहमद के दो और शूटरों के बारे में पता चला है। उनकी मोबाइल फोन से लोकेशन बिहार की मिली है। उनकी तलाश में यहां से एसटीएफ व एसओजी टीम बिहार के लिए रवाना हो चुकी है।

24 फरवरी को हुई थी हत्या

उमेश पाल तत्कालीन बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के पुलिस के चश्मदीद गवाह थे। राजू पाल की हत्या का आरोप पूर्व सांसद बाहुबली सांसद अतीक अहमद और उसके गुर्गों पर लगा था। उमेश पाल इस हत्याकांड के चश्मदीद गवाह थे। गवाही से हटने के लिए उमेश को कई बार अतीक और उसके गुर्गों ने धमकाया था और परिणाम भुगतने की धमकी दी थी। यही कारण था कि उमेश पाल पुलिस के गवाह तो थे लेकिन मामला जब सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) के पास चला गया तो सीबीआई के वे गवाह नहीं थे। इसी साल बीते महीने 24 फरवरी को उमेश पाल और उनके दो सरकारी सुरक्षा कर्मियों की गोलियों और बमों की बारिश कर हत्या कर दी गई थी।

हत्याकांड को सरकार ने गंभीरता से लिया

उमेश पाल और उनके दोनों सरकारी सुरक्षा कर्मचारियों की हत्या को राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है। इस मामले में शामिल शूटरों को किसी भी कीमत पर सरकार गिरफ्तार और इनकाउंटर करना चाहती है। बीते एक सप्ताह में अतीक के दो शार्प शूटरों को पुलिस ने इनकाउंटर में मार गिराया है। अब दो शूटरों की लोकेशन ट्रेस हुई तो उसे भी दबोचने के लिए पुलिस टीम सक्रिय हो गई है।

बिहार में मिली लोकेशन

उमेश पाल और सरकारी सुरक्षा कर्मचारियों की हत्या में शामिल अतीक के दो शार्प शूटरों गुलाम और अरमान की लोकेशन पुलिस को उनके मोबाइल फोन के जरिये मिली है। पुलिस इन्हें किसी भी दशा में छोड़ना नहीं चाहती। उन्हें दबोचने के लिए पिछले दिनों एसटीएफ और एसओजी की टीम बिहार रवाना हो चुकी है।

बिहार के बाहुबली से भी संबंध

उत्तर प्रदेश पुलिस को अतीक के जिन दो शार्ट शूटरों गुलाम और अरमान की बिहार में जो लोकेशन मिली है वह बिहार के भी एक बाहुबली दबंग माफिया के लिए काम करते हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि इसी माफिया ने उमेश पाल और सुरक्षा गार्डों की हत्या होने के बाद भागे दोनों शार्प शूटरों को यहां शरण दे रखी है।

उमेश पाल की थी गोलीबारी

सीसीटीबी फुटेज से पुलिस को जानकारी मिली है कि जब विजय उर्फ उस्मान उमेश पाल की हत्या के लिए जब गोली चला रहा था तब वह लड़खड़ा गया था। इसे लड़खड़ाते देखकर अरमान और गुलाम ने उमेश पाल पर गोलियां और बम बरसाने का मोर्चा संभाला था। यही नहीं उन्होंने उमेश पाल की सुरक्षा लगे दोनों सरकारी सुरक्षा गार्डों को दौड़ाकर गोलियां मारी थी। इसमें एक सुरक्षा कर्मचारी की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि दूसरे सुरक्षा कर्मचारी बुरी तरह से घायल हो गया था। उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां कुछ दिन जिंदगी और मौत से जूझने के बाद वह मौत से हार गया था।

 

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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