योजनाः राज्य सरकार पश्चिमी व मध्य उत्तर प्रदेश को बनाएगी ऑटो इंडस्ट्री का हब
ऑटो, इलेक्ट्रिक वाहन और कंपोनेन्ट्स इंडस्ट्री के हब के रूप में विकसित होंगे दोनों क्षेत्र, राज्य सरकार 10 हजार एकड़ जमीन उपलब्ध कराएगी, खर्च होंगे 20 बिलियन डॉलर
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने के लिए पश्चिमी और मध्य उत्तर प्रदेश को ऑटो और इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री के साथ ही इससे जुड़े कंपोनेन्ट्स की इंडस्ट्री का हब बनाने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि पश्चिमी और मध्य उत्तर प्रदेश में ऑटो और इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री के लिए पहले से पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं। जरूरत इसे और अधिक विकसित करने की है। क्योंकि ऑटो सेक्टर में इलेक्ट्रिक व्हीकल की मांग तेजी से बढ़ रही है। इससे रोजगार के साधन भी इस इंडस्ट्री में बड़े पैमाने पर उपलब्ध होंगे।
जीएसवीए हो सकता है पांच बिलियन डालर
एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में ऑटो इंडस्ट्री में उत्तर प्रदेश की ग्रोथ स्टेट वैल्यू एडिशन (जीएसवीए) डेढ़ बिलियन डॉलर थी जिसे अगले पांच वर्ष में पांच बिलियन डॉलर किया जा सकता है। यहां पर इंडस्ट्री के विकास के लिए पश्चिमी और मध्य उप्र में 9 से 10 हजार एकड़ जमीन की जरूरत पड़ेगी, इसके लिए सरकार 19 से 20 बिलियन डॉलर खर्च करेगी। वहीं यहां बने इलेक्ट्रिक व्हीकल के साथ ऑटो पाटर्स को ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण एशिया में सप्लाई किया जाएगा। दरअसल, वहां पर टू और थ्री व्हीलर इलेक्ट्रिक व्हीकल और बैटरी की मांग काफी ज्यादा है।
पश्चिमी उप्र बड़े, मध्य उप्र एमएसएमई इंडस्ट्री के लिए उपयुक्त
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बैठक में कहा कि ऑटो इंडस्ट्री में लार्ज और एमएसएमई इंडस्ट्री का अहम रोल है और यह दोनों ही इंडस्ट्री पश्चिमी और मध्य उप्र में पर्याप्त मात्रा में पहले से स्थापित हैं। इसके साथ ही इन इंडस्ट्री के इक्यूपमेंट के एक्सपोर्ट के लिए यहां पर एक्सप्रेस वे भी मौजूद है। वहीं एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए यहां पर आसानी से ईस्टन डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर को विकसित करने के साथ एक्सप्रेस वे से कनेक्ट किया जा सकता है।
नोएडा को भी बड़े उद्योग के चुना
योगी सरकार ऑटो इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए गौतमबुद्ध नगर (नोएडा), गाजियाबाद, लखनऊ, हापुड़, कानपुर नगर और मेरठ को लार्ज इंडस्ट्री के निर्माण के लिए चुना है जबकि एमएसएमई इंडस्ट्री के लिए आगरा, शाहजहांपुर, अलीगढ़, प्रयागराज, सहारनपुर और इटावा को चुना गया है। प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने के लिए पश्चिमी उप्र को ओरिजनल इक्यूपमेंट मैन्यूफैक्चरर बेल्ट के रूप में विकसित करने के लिए यहां पर्याप्त संसाधन भी पहले से उपलब्ध है। वहीं मध्य उत्तर प्रदेश ऑटो इंडस्ट्री के लिए सबसे जरूरी मेटल इंडस्ट्री के साथ इससे जुड़ी अन्य इंडस्ट्री के लिए काफी उपयुक्त है। यहां पर इन इंडस्ट्री के लिए एमएसएमई इंडस्ट्री पहले से मौजूद है, बस इसे और बड़ा रूप देने की जरूरत है।
सालाना 1.10 नए रोजगार के उपलब्ध होंगे
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बैठक में कहा कि पश्चिमी उप्र में ऑटो जोन और ऑटोमोटिव इंडस्ट्री को विकसित करने के लिए इससे जुड़े सहायक और डाउनस्ट्रीम उद्योग पर फोकस करना होगा। इसके लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल ओरिजनल इक्यूपमेंट मैन्यूफैक्चरर के सहायक उद्योग रबड़ प्रसंस्करण, प्लास्टिक, धातु, मशीनरी, कांच उद्योग को ग्रीन जोन के रूप में विकसित करना होगा। साथ ही प्रदेश में ईवी चार्जिंग नेटवर्क को बढ़ाना होगा। उन्होंने अधिकारियों को इस ओर ध्यान देने की बात कही। इलेक्ट्रिक ऑटो इंडस्ट्री प्रोडक्ट की डिजाइन, उसके रिसर्च, ईवी चार्जिंग पर केंद्रित है। इसमें बैटरी, बैटरी केमिकल, सेल मैन्युफैक्चरिंग, फ्यूल और वेल्डिंग का अहम रोल है। ऐसे में इसके लिए कास्टिंग, वेल्डिंग मशीन ऑपरेटर, इलेक्ट्रिक व्हीकल एसेंबल टेक्नीशियन के साथ हीट ट्रीटमेंट टेक्नीशियन की सबसे ज्यादा जरूरत होगी। इन पदों पर सबसे ज्यादा रोजगार उपलब्ध होंगे। इसको लेकर सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2017 में इस सेक्टर में 60 से 70 हजार लोगों को रोजगार मिला था, वहीं इसकी ग्रोथ से अगले पांच वर्षों में 90 हजार से 1.10 लाख प्रति वर्ष रोजगार उपलब्ध होंगे।
विदेशों में ईवी पाटर्स होंगे सप्लाई
मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्य और पश्चिमी उप्र में बने टू और थ्री ईवी व्हीकल और ईवी पाटर्स को ब्रिटेन, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, दक्षिण एशिया में सप्लाई किया जाएगा। ये देश ईवी और ईवी पाटर्स की सप्लाई के लिए सबसे ज्यादा मुफीद हैं।