गैर पुश्तैनी काश्तकारों की लीज बैक निरस्त करना न्यायोचित और स्वागत योग्य – कर्मवीर नागर
नोएडा: एसआईटी द्वारा गैर पुश्तैनी काश्तकारों की लीज बैक निरस्त करना न्यायोचित और स्वागत योग्य है । एसआईटी के चैयरमैन डॉ अरुणवीर सिंह द्वारा की गई निष्पक्ष जांच स्वागत योग्य है। गैर पुश्तैनी काश्तकारों की लीज बैक निरस्त होने से पुश्तैनी किसानों को भूखंड आबंटन के लिए उपलब्ध हो सकेगी भूमि।कर्मवीर नागर प्रमुख ने कहा कि पुश्तैनी और गैर पुश्तैनी काश्तकारों की लीज बैक जांच के लिए शासन ने जनवरी 2019 में गठित एसआईटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर 237 प्रकरणों की पात्रता निरस्त करने का आदेश भले ही देर से आया लेकिन दुरुस्त आया। एसआईटी की यह जांच रिपोर्ट उन पुश्तैनी किसानों के लिए राहत भरी है । जिनको अर्जित भूमि की एवज में आवंटित होने वाले भूखंडों के लिए जमीन ही उपलब्ध नहीं हो पा रही थी। वास्तव में यह जांच रिपोर्ट उन पुस्तैनी किसानों के लिए भी राहत भरी है । जिन किसानों का हक देश के दूर दराज प्रदेशों में रहने वाले उन गैर पुश्तैनी काश्तकारों ने प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारियों से मिली भगत कर हड़प लिया था, जो आर्थिक और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली थे। इस भ्रष्टाचारी खेल में बहुत से अधिकारियों और दलालों के वारे न्यारे हो गए थे। उन भ्रष्टाचारी अधिकारियों का नकाब हटना चाहिए जिन्होंने किसानों का मानसिक और आर्थिक उत्पीड़न किया है। इस भ्रष्टाचारी खेल में जहां पुश्तैनी काश्तकारों को आबादी भूमि भी नहीं छोड़ी गई थी वहीं देश के दूर दराज शहरों में रहने वाले आर्थिक रूप से समृद्ध गैर पुस्तैनी की श्रेणी में आने वाले काश्तकारों की बड़ी तादाद में भूमि लीज बैक की गई थी।
कर्मवीर नागर प्रमुख कि मानें तो प्राधिकरण द्वारा पुश्तैनी किसानों को अर्जित भूमि की एवज में भूखंड आबंटन के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध न होने का बहाना बताने की वजह से गैर पुश्तैनी काश्तकारों को गलत तरीके से की गई लीज बैक के संबंध में उन्होंने सन् 2018 में शिकायत की थी । उनके अलावा कुछ अन्य लोगों के द्वारा भी शिकायत की गई थी तदुपरांत इन शिकायतों का संज्ञान लेकर उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पुश्तैनी और गैर पुस्तैनी काश्तकारों की लीजबैक जांच के एसआईटी का गठन किया गया था। इस एसआईटी के चैयरमैन और यीडा के सीईओ डॉ अरुणवीर सिंह धन्यवाद के पात्र हैं, जिन्होंने गैर पुश्तैनी और अपात्र काश्तकारों की लीज बैक निरस्त करने का स्वागत योग्य निर्णय दिया। हालांकि उन अधिकारियों को एसआईटी की इस जांच रिपोर्ट से कष्ट होना भी स्वाभाविक है जो पुश्तैनी काश्तकारों के हितों के खिलाफ इस भ्रष्टाचारी खेल में शामिल रहे होंगे लेकिन यह रिपोर्ट उन पुस्तैनी किसानों के लिए राहत भरी खबर है । जिनको भूमि की अनुपलब्धता के कारण अर्जित भूमि की एवज में अभी तक भूखंड आबंटित नहीं हो सके हैं।