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ज्ञानवापी प्रकरण में माफिया मुख्तार की एंट्री

श्रीकाशी विश्वनाथ मुक्ति आंदोलन के अध्यक्ष का दावा- मस्जिद के लिए फंडिंग करते हैं अंसारी

वाराणसी। ज्ञानवापी प्रकरण की सुनवाई सोमवार ( 23 मई) को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में होगी। इस मामले में मुकदमे की वादी महिलाओं,  डीजीसी सिविल और अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के प्रार्थना पत्र और आपत्तियों पर जिला जज सुनवाई करेंगे। इन सब के बीच अब इस प्रकरण में पूर्व विधायक और माफिया मुख्तार अंसारी की भी एंट्री हो गई है।

दरअसल, श्रीकाशी विश्वनाथ मुक्ति आंदोलन के अध्यक्ष सुधीर सिंह ने अपने फेसबुक अकाउंट पर एक वीडियो अपलोड कर दावा किया है कि ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली संस्था अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की फंडिंग माफिया मुख्तार अंसारी द्वारा की जाती है। हम इसके लिए वाराणसी के मंडलायुक्त से मांग करते हैं कि वह जांच कराएं कि ज्ञानवापी मस्जिद की फंडिंग करने वाले कौन-कौन लोग हैं।

दुर्गाकुंड निवासी ज्ञानवापी मुक्ति आंदोलन के सदस्य सुधीर सिंह ने आरोप लगाया कि ज्ञानवापी मस्जिद के लिए वर्ष 2012 में मुख्तार अंसारी ने 10 लाख रुपये दान दिया था। ज्ञानवापी की देखरेख का जिम्मा भी उसने उठा रखा है। कमिश्नर को शिकायती पत्र देकर मामले की जांच कराने की मांग की।

जारी वीडियो में सुधीर सिंह ने कहा है कि मंदिर को तोड़कर मुगल बादशाह औरंगजेब ने ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण कराया था। औरंगजेब आतताई था। मुख्तार अंसारी माफिया है। उसके पैसे से ज्ञानवापी मस्जिद की रख रखाव और मरमत होती है।

उन्होंने वीडियो में कहा कि, गाजीपुर जेल में बंद मुख्तार अंसारी को यूरिक एसिड की दिक्कत होने पर उसे वाराणसी जेल लाया गया था। उस वक़्त समाजसेवी राकेश न्यायिक ने एक वीडियो भी बनाया था, जिसमें कहा था कि बीएचयू में इलाज के लिए मुख्तार अंसारी स्पेशल वार्ड में भर्ती था, तो उससे मिलने शहर बनारस मौलाना मुफ्ती बातीन गए थे और उस समय उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद की समस्या बताई थी और रखरखाव की दिक्कतों की जानकारी दी थी।

मौलाना शहर काजी की बात सुनकर मुख्तार ने 10 लाख रुपये अपनी गाड़ी से निकलवा के मौलाना को दिया था। सुधीर सिंह ने कहा कि, इस पूरे मामले में कमिश्नर से शिकायत कर के मांग करुंगा की ज्ञानवापी मस्जिद के लिए कहां से पैसा आता है। जिससे मस्जिद का रख रखाव हो रहा था।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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