उत्तर प्रदेशराज्यलखनऊ

स्वच्छता अभियानः गांवों को सुंदर और  स्वच्छ बनाने के ट्रेनिंग लेंगे 83 हजार लोग इनमें 25 हजार ग्राम प्रधान भी होंगे

सरकार प्रदेश के ग्राम प्रधानों, खंड प्रेरकों और पंचायत सहायकों को करेगी ट्रेंड, ठोस और तरल कचरा प्रबंधन के लिए लखनऊ व 20 डीपीआरसी पर दी जाएगी ट्रेनिंग

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के गांवों को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए राज्य सरकार अब ग्राम प्रधानों, खंड प्रेरकों, पंचायत सहायकों और सफाई कर्मचारियों को ट्रेनिंग देगी। इसके लिए प्रदेश भर में 21 ट्रेनिंग सेंटर बनाए जाएंगे। वहां अलग-अलग सत्रों में कुल 83 हजार लोगों को ट्रेनिंग दी जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार प्रदेश के सभी गांवों में ठोस और तरल कचरे के प्रबंधन को लेकर उचित कदम उठाने और इसके लिए ग्राम पंचायत के पदाधिकारियों को प्रशिक्षण देने की तैयारी शुरू हो चुकी है। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के द्वितीय चरण के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए प्रदेश के 25 हजार से ज्यादा ग्राम पंचायतों को शामिल किया गया है। हाल ही में ट्रेनिंग देने वाले मास्टर ट्रेनर्स के प्रशिक्षण का कार्य पूरा कर लिया गया है।

43,242 राजस्व गांवों के लिए लक्ष्य निर्धारित

अपर मुख्य सचिव पंचायती राज मनोज कुमार के अनुसार स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के दूसरे चरण के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 25,145 ग्राम पंचायतों को शामिल किया गया है। इसके अन्तर्गत 43,242 राजस्व गांवों को लेकर लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इन गांवों में पहले चरण में प्राप्त उपलब्धियों को आगे भी बनाए रखने के साथ ही ठोस एवं तरल कचरे के प्रबन्धन के लिए विभिन्न अभियान चलाए जाएंगे। इसी क्रम में ग्राम प्रधान, खण्ड प्रेरक एवं पंचायत सहायक आदि करीब 83 हजार लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा, जो वास्तविक रूप से गांवों में काम करेंगें। इन 83 हजार लोगों का प्रशिक्षण लखनऊ स्थित प्रिट कार्यालय के अलावा 20 जिला पंचायत रिसोर्स सेंटर (डीपीआरसी) पर कराया जाएगा। है।

126 मास्टर ट्रेनर देंगे ट्रेनिंग

उन्होंने बताया कि ग्राम प्रधान, पंचायत सहायक एवं प्रेरकों आदि को ट्रेनिंग देने के लिए हर प्रशिक्षण केंद्र पर 6 मास्टर ट्रेनर तैनात किए गए हैं। पूरे प्रदेश के लिए कुल 126 मास्टर ट्रेनर्स तैनात किए गए हैं। हाल ही में पंचायती राज निदेशालय में इन सभी मास्टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षण दिया गया है। अधिकारी के अनुसार, ओडीएफ प्लस मॉडल के लिए बीते वित्तीय वर्ष 2022-23 से इस बार करीब सात गुना से अधिक गांवों को लक्षित किया गया है। इन गांवों में मुख्य रूप से ठोस औेर तरल कचरे का प्रबन्धन, प्लास्टिक वेस्ट का प्रबन्धन, फीकल स्लज का प्रबन्धन, गोवर्धन परियोजना के अन्तर्गत बायो गैस यूनिट का निर्माण, व्यक्तिगत शौचालय का निर्माण जैसी गतिविधियां चलाई जानी हैं। उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायत रणनीति बनाकर इसपर कार्य करेंगी, जिससे तय समय में हम लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

Related Articles

Back to top button
Close