नोएडा

तीन दिन बाद देश में बदल जायेगा FIR दर्ज कराने से लेकर केस लड़ने तक का तरीका, जानिये ये बदलाव आम आदमी की ज़िन्दगी पर कैसे असर डालेंगे ?

नोएडा : भारत में एक जुलाई से नया कानून लागू होने जा रहा है। अब देश में IPC और CRPC को बदलकर अब भारतीय न्याय सहिंता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता(बीएनएसएस) , भारतीय साक्ष्य अधिनियम कर दिया गया है इसी के आधार पर कानून लागू होगा। इसके तहत कहीं भी जीरो एफआईआर दर्ज कराई जा सकेगी। इसके अलावा हर थाने में एक पुलिस अफसर की नियुक्ति होगी, जिसके पास किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी से जुड़ी हर जानकारी होगी।

एक जुलाई से ये बदलाव लागू होंगे
एक जुलाई से पुलिस-न्याय व्यवस्था से जुड़े नए कानून देशभर में लागू हो जाएंगे। इससे केस दर्ज कराने में पुलिस की आनाकानी किस तरह खत्म होगी? कोर्ट में केस लड़ने में अब किन नई बातों का ध्यान रखना होगा? नए कानून से पीड़ित और पुलिस दोनों ही मजबूत होंगे। तकनीक की और अधिक मदद ली जाएगी। सबूत के लिए फॉरेंसिक जांच का दायरा बढ़ाया जाएग। इनसे कोर्ट में होने वाले फैसलों में भी तेजी आएगी।

भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) से जुड़ी अहम् बातें
164 साल पुरानी आईपीसी में 511 धाराएं थीं, जो बीएनएस-2023 में 358 बचेंगी। 21 नए अपराध जुड़े हैं और 41 धाराओं में सजा बढ़ाई गई है। पहली बार 6 अपराधों में सामुदायिक सेवा की सजा जोड़ी गई है।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 484 धाराओं वाली 51 साल पुरानी सीआरपीसी की जगह बीएनएसएस लागू होगा । 47 नई धाराओं के साथ अब कुल 531 धाराएं होंगी। पहले धारा 154 में होने वाली FIR बीएनएसएस में धारा 173 में दर्ज होगी।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत 152 साल पुराने इंडियन एविडेंस एक्ट में 167 धाराएं थीं। इसकी जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 धाराएं होंगी। 15 नई धाराएं और परिभाषाएं जोड़ी गई हैं। 24 में संशोधन करते हुए 10 धारा-परिभाषाओं को खत्म किया गया है।

जीरो एफआईआर क्या है ?

देश में तीन नए कानून 1 जुलाई से लागू हो जाएगा, जिसके चलते देश में कहीं भी जीरो एफआईआर लिखी जा सकेगी। जीरो एफआईआर वो एफआईआर है जो किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज की जा सकती है। चाहे अपराध किसी भी स्थान पर हुआ हो या पुलिस स्टेशन का अधिकार क्षेत्र कुछ भी हो।शुन्य एफआईआर नाम शून्य सीरियल नंबर को दर्शाता है। पुलिस इस एफआईआर को शून्य सीरियल नंबर के तहत दर्ज करती है और इसे उस पुलिस स्टेशन को ट्रांसफर करना होता है, जहां इसकी जांच होनी चाहिए या उस पुलिस स्टेशन को जो उस क्षेत्र या अधिकार क्षेत्र में अधिकार रखता हो। साथ ही जीरो एफआईआर दो तरह के मामलों में दर्ज होती है, पहला होता है संज्ञेय अपराध और दूसरा असंज्ञेय अपराध।

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