कोलकाता में डॉक्टर दुष्कर्म-हत्या मामला : सुप्रीम कोर्ट ने 8 सदस्यीय टास्क फोर्स गठित की, प्रिसिंपल की भूमिका पर उठाए सवाल
नई दिल्ली (फेडरल भारत न्यूज) : कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर से दुष्कर्म-हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई। शीर्ष अदालत ने जूनियर डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या और अस्पताल में तोड़फोड़ के मामले पर स्वत:संज्ञान लिया था। मामले की अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी।
पहचान उजागर होने से SC चिंतित
सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल रहे। बेंच ने इस मामले में पीड़िता की पहचान उजागर होने पर चिंता जाहिर की। साथ ही केस में पुलिस जांच से लेकर आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष की भूमिका तक पर सवाल उठाए। कोर्ट ने मामले में आठ सदस्यीय टास्क फोर्स के गठन का फैसला किया। इसमें एम्स के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवासन के अलावा कई और डॉक्टरों का नाम शामिल किए गए हैं।
कोर्ट ने कहा, डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर चिंतित
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि यह सिर्फ एक मर्डर का मामूली मामला नहीं है। हमें डॉक्टरों की सुरक्षा की चिंता है। बेंच ने कहा कि महिलाएं सुरक्षा से वंचित हो रही हैं। हमने देखा है कि उनके लिए कई जगहों पर रेस्ट रूम तक नहीं होते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अगर महिलाएं काम पर नहीं जा पा रही हैं और काम करने की स्थितियां सुरक्षित नहीं हैं तो हम उन्हें समानता से वंचित कर रहे हैं। ज्यादातर युवा चिकित्सक 36 घंटे काम करते हैं, हमें काम करने की सुरक्षित स्थितियां सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय प्रोटोकॉल बनाने की जरूरत है।
बंगाल पुलिस पर उठाए सवाल
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान बंगाल पुलिस पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि किसी कार्यक्रम में 500 लोगों को बुलाना होता है, तो हमें इसकी तैयारी करनी होती है। सात हजार लोग लाठी-डंडे के साथ हॉस्पिटल आते हैं, वो बिना पुलिस की जानकारी के संभव ही नहीं है।
मामले की गंभीरता पर ध्यान आकर्षित कराते हुए तुषार मेहता ने कहा, “हमें इसे तुच्छ नहीं समझना चाहिए. हम एक युवा डॉक्टर के साथ एक यौन विकृत व्यक्ति द्वारा बलात्कार की घटना से निपट रहे हैं। लेकिन इसमें एक पशु जैसी प्रवृत्ति भी थी। मैं इसे राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाना चाहता, माता-पिता को 3 घंटे तक इंतजार करना पड़ा। पूरे राज्य में कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है।
देर से एफआइआर पर उठाए सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, “एफआईआर किसने और कब दर्ज कराई?” इस पर सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने कहा, “11.45 बजे एफआईआर दर्ज की गई। फिर सीजेआइ ने कहा कि अभिभावकों को बॉडी देने के 3 घंटे 30 मिनट के बाद एफआईआर दर्ज की गई? एक डॉक्टर की हत्या हो गई और रात 11.45 बजे एफआईआर दर्ज क्यों की गई? डीवाई चंद्रचूड़ ने पश्चिम बंगाल सरकार और हॉस्पिटल प्रशासन को फटकार लगाते हुए कहा, एफआइआर देर से क्यों दर्ज हुई? हॉस्पिटल प्रशासन आखिर क्या कर रहा था? जब हत्या हुई थी, तो पीड़िता के माता-पिता वहा मौजूद नहीं थे। यह हॉस्पिटल प्रबंधन की जिम्मेदारी थी कि वो एफआईआर दर्ज कराए।