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ईडी की छापेमारी: नोएडा अथॉरिटी के अध्यक्ष एवं सीईओ रहे मोहिंदर सिंह के घर से 12 करोड़ के हीरे, सात करोड़ के स्वर्ण आभूषण बरामद

चंडीगढ़/नोएडा(फेडरल भारत नेटवर्क): प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शारदा एक्सपोर्ट कंपनी के दिल्ली, नोएडा, चंडीगढ़, मेरठ और गोवा स्थित ठिकानों पर छापे डाले हैं। चंडीगढ़ में नोएडा अथॉरिटी के सीईओ रहे मोहिंदर सिंह के घर से छापे की कारवाई के दौरान छापों में करीब एक करोड़ रुपये कैश, 12 करोड़ रुपये के हीरे, 7 करोड़ कीमत के सोने के जेवरात और तमाम संदिग्ध दस्तावेज बरामद हुए हैं।
सबसे अधिक हुई बंदरबाट
रिटायर IAS एवं नोएडा अथॉरिटी के पूर्व CEO रहे मोहिंदर सिंह के चंडीगढ़ स्थित आलीशान कोठी के साथ ही प्रवर्तन निदेशालय ने व्यापक पैमाने पर छापेमारी की। मोहिंदर सिंह से जुड़े कई मामलों की जांच शासनस्तर पर चल रही है। वह लगगभग पांच साल तक 30 नवंबर 2007 से 14 दिसंबर 2010 तक नोएडा के सीईओ और एक जनवरी 2010 से 19 जुलाई 2011 तक अध्यक्ष रहे तथा एक नवंबर 2011 से 20मार्च 2012 तक अध्यक्ष एवं सीईओ दोनों पदों पर रहे। कहा जाता है कि इस दौरान ही नोएडा में जमीनों की सबसे अधिक बंदरबाट हुई।
प्राधिकरण को कंगाल करने में सबसे बड़ा हाथ
मोहिंदर सिंह जिस समय 30 नवंबर 2007 को नोएडा प्राधिकरण के सीईओ बने, उस समय प्रदेश में मायावती के नेतृत्व वाली बसपा की सरकार थी। कहा जाता है कि इस दौरान नियमों को ताक पर रखकर बिल्डरों को लाभ पहुंचाया गया। उनकी नियुक्ति बिल्डरों के लिए एक तरह से स्वर्णयुग की तरह थी। प्राधिकरण ने शासनदेशों को किनारे करके वीटो के माध्यम से महज 10 प्रतिशत लेकर बिल्डरों को महंगी और कीमती जमीनें आवंटित कीं।इससे पहले 30 प्रतिशत तक लेने का प्रविधान था। स्पोटर्स सिटी मामले में पीएसी की आपत्तियों का जबाव आज तक प्राधिकरण के पास नहीं है।
बिल्डरों के फेवर में मनमाफिक निर्णय लिए
मोहिंदर सिंह ने अपने दोस्त बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के लिए मनमाने ढंग से निर्णय लिए। बताया जाता है कि आज भी बिल्डरों पर नोएडा प्राधिकरण का 26 हजार करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। इस वजह से नोएडा और ग्रेटर नोएडा में लाखों बायर्स की रजिस्ट्री अटकी हुई है। इसी तरह यमुना किनारे योजना लागू करके सस्ते दामों पर फॉर्म हाउस आवंटित किए गए। 2008 और 2010 में ओपन एंड स्कीम के तहत फार्म हाउस योजना निकाली। इसमें 18 लाख 37 हजार 340 वर्गमीटर भूखंडों की जमीन 157 आवंटियों को आवंटित की गई।
सीएजी रिपोर्ट में सामने आए थे घोटाले
जमीनों के कई घोटालों को सीएजी ने भी अपनी रिपोर्ट में पकड़ा था। सीएजी रिपोर्ट में दिखाया गया था कि 2008.09 में 22 आवंटियों को 3100 रुपये वर्गमीटर की दर से भूखंड़ आवंटित किए गए। जबकि उस वक्त बाजार का मूल्य 15000 से अधिक था। इसी दर पर 2009-10 में भी 43 भूखंडों का आवंटन हुआ।
सुपटेक और आम्रपाली को दिया था लाभ
मोहिंदर सिंह पर आरोप है कि वर्ष 2007 से लेकर 2010-11 तक आम्रपाली बिल्डर को गलत ढंग से जमीन आवंटित की गई थी। इसी तरह सुपरटेक को टिवन टावर के लिए गलत ढंग से एफएआर बेचा गया था। सुपरटेक को ग्रीन बेल्ट में निर्माण की अनुमति दी गई थी। इसी का फायदा उठाकर सुपरटेक ग्रुप ने सियान और एपेक्सनाम के दो टावर खड़े कर दिए। जिसे 28 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ध्वस्त कर दिया गया। इस मामले में स्टेट विजिलेंस द्वारा मोहिंदर सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।

Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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