एडवाइजरीः अब धान पर एसआरबीएसडीवी का प्रकोप, बचाव तरीके अपनाएं किसान
पंजाब, हरियाणा एवं उत्तराखंड के कुछ जिलों में धान की फसल में Southern Rice Black- Streaked Dwarf Virus (SRBSDV) का बढ़ा प्रकोप,उप्र खतरा मडरा रहा
नोएडा। पंजाब, हरियाणा एवं उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों के कुछ जिलों में Southern Rice Black- Streaked Dwarf Virus (SRBSDV) का प्रकोप बढ़ा है। इसका खतरा उत्तर प्रदेश खासतौर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में है। इसे ध्यान में रखते हुए कृषि विभाग ने किसानों के लिए एडवायजरी जारी की है।
गौतमबुद्ध नगर जिले के जिला कृषि अधिकारी विनोद कुमार ने किसानों को जानकारी दी है कि केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केन्द्र जालंधर, देहरादून तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने पंजाब के रोपड़, होशियारपुर, पठानकोट, गुरुदासपुर, एसबीएस नगर, एसएएस नगर, फतेहगढ़ साहिब, पटियाला, लुधियाना, जालंधर एवं उत्तराखण्ड के देहरादून, हरिद्वार तथा हरियाणा के पानीपत जिलों में संयुक्त सर्वेक्षण किए गए हैं। इस सर्वेक्षण से जानकारी मिली है कि पंजाब, हरियाणा एवं उत्तराखण्ड के कुछ जिलों में धान की फसल की बौने (Stunting of plant) हो जाते हैं, जिसका परीक्षण एवं शोध के बाद Southern Rice Black Strenked Dwarf Virus (SRBSDV) का प्रकोप पाया गया है।
निगरानी की जरूरत
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में इसके प्रकोप की आशंका के दृष्टिगत सघन निगरानी की आवश्यकता है। इसी क्रम में भारत सरकार द्वारा जारी सुझाव एवं संस्कृतियां बिंदुवार दी गई हैं।
प्रकोप के लक्षण–
- पौधे की प्रारंभिक अवस्था में अत्यधिक प्रकोप की संभावना होती है।
- प्रकोपित पौधे बौने हो जाते हैं।
- प्रकोपित पौधे की पत्तियां गहरे हरे रंग की होती हैं।
- प्रकोपित कल्ले मुरझाने लगते हैं।
- जड़ों का विकास रुक जाता है एवं धीरे-धीरे भूरे रंग में बदल जाती है, जिससे प्रभावित कल्ले खीचने पर आसानी से उखड़ जाते हैं।
- प्रकोपित पौधे के शीथ पर काली धारियां बनती हैं।
- बालियों में दाने कम बनते हैं या नहीं बनते।
- इसका प्रकोप एकल या 4-8 पौधों के समूह में होता है।
- इस वायरस (Fijivirus) का वाहक कीट सफेद पीठवाला फुदका (WBPH)-Sogatella furcifera होता है।
- इस वायरस का प्रकोप धान की 12 विभिन्न प्रजातियों जैसे पीबी1962, 1718, 1121, 1509, 1847, PR114, 136, 130, 131 एवं Pioneer Hybird, Swift Gold (Bayer) और CSR30 में देखा गया है।
नियंत्रण के उपाय
- नर्सरी के प्रकोपित पौध को नहीं रोपें।
- प्रकोपित पौधे को उखाड़कर दूर मिटटी में गहरा दबा देना चाहिए।
- खेत के चारों ओर मेड़ों के खतपतवारों को निकाल कर सफाई करनी चाहिए।
- जमीन के पास सफेद पीठवाला फुदका (WBPH) के प्रकोप दिखाई देने वाले खेतों की साप्ताहिक गहन निगरानी करनी चाहिए।
- खेत में 3-20 प्रतिशत प्रकोपित पौध दिखाई देने पर उसे उखाड़कर उसके स्थान पर स्वस्थ पौध को रोपें।
- प्रकोप से बचाव के लिए सफेद पीठवाला फुदका (WBPH) के नियंत्रण हेतु बुप्रोफेजिन 25 प्रतिशत एससी 800 एमएल या एसिटामिप्रिड 20 प्रतिशत एसपी 100 ग्राम या डिनोटेफ्यूरान 20 प्रतिशत एस जी 150-200 ग्राम या फ्लोनिकामिड 50 प्रतिशत डब्ल्यूजी 150 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करना चाहिए।