प्रोत्साहनः उप्र में ज्वार की खेती को बढ़ावा देगी योगी सरकार
प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर के साथ ही विटामिन बी, कैल्सियम, लौह, फास्फोरस, जिंक की मौजूदगी है इसमें
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार प्रदेश में पोषक तत्वों से भरपूर ज्वार की खेती को बढ़ावा देगी। ज्वार पोषक तत्त्वों के मामले में एक जोरदार अनाज है। इसमें काफी मात्रा प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर पाया जाता है। इनके अलावा इसमें लगभग हर तरह की विटामिन बी, कैल्सियम, आयरन, जिंक, कॉपर और फास्फोरस की मौजूदगी होती है। इसे इन्हीं खूबियों के कारण इसे सुपरफूड कहा जाता है।
इसकी खूबियां लोगों को बताएगी सरकार
अन्तराष्ट्रीय मिलेट वर्ष- 2023 में योगी सरकार लोगों और किसानों को ज्वार की खूबियां को बताकर इसकी खेती के लिए प्रोत्साहित करेगी। उत्तर प्रदेश में ज्वार की खेती की काफी अधिक संभावना है। डायरेक्टरेट ऑफ इकोनॉमिक्स एंड स्टैटिक्स मिनिस्ट्री ऑफ एग्रिकल्चर के 2013 से 2016 तक के आंकड़ों के अनुसार भारत मे ज्वार की प्रति हेक्टेयर प्रति कुंतल उपज 870 किग्रा है। इस दौरान उत्तर प्रदेश की औसत उपज 891 किग्रा रही। इसी अवधि में सर्वाधिक 1814 किलोग्राम की उपज आंध्र प्रदेश की रही। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश में इसकी उपज बढ़कर 1643 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई। बावजूद इसके यह शीर्ष उपज लेने वाले आंध्र प्रदेश से कम है। उपज का यही अंतर उत्तर प्रदेश के लिए संभावना भी है। खेती के उन्नत तरीके, अच्छी प्रजाति के बीजों की बोआई से इस अंतर को भरा जा सकता है। अन्तरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष का मकसद भी यही है। उपज के साथ पिछले तीन साल से ज्वार का उत्पादन और रकबे का लगातार बढ़ना प्रदेश के लिए एक शुभ संकेत भी है।
बहुपयोगी होता है ज्वार
मोटे अनाजों (मिलेट्स) में बाजरा के बाद ज्वार दूसरी प्रमुख फसल है। यह खाद्यान्न एवं चारा दोनों रूपों में उपयोगी है। इसके लिए सिर्फ 40-60 सेंटीमीटर पानी की जरूरत होती है। लिहाजा, इसकी फसल सिर्फ वर्षा के सहारे असिंचित क्षेत्र में भी ली जा सकती है।
बिना लागत की खेती
ज्वार की खूबियां यहीं खत्म नहीं होतीं। इसकी खेती किसी तरह की भूमि में की जा सकती है। बस उसमें जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। इसके लिए खेत की भी खास तैयारी नहीं करनी होती। रोगों के प्रति प्रतिरोधी होने के कारण इसमें कीटनाशकों की जरूरत नहीं पड़ती। कुल मिलाकर गेंहू, धान और गन्ना की तुलना में यह बिना लागत की खेती है।
प्राचीन काल से होती रही है खेती
भारत में हरित क्रांति के पहले प्राचीन काल से ज्वार सहित अन्य मोटे अनाजों की खेती की परंपरा रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी मन की बात में मिलेट्स रिवॉल्यूशन की बात कर चुके हैं। भारत 2018 में मिलेट्स वर्ष भी मना चुका है। भारत के प्रस्ताव पर ही संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को अन्तरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया है। इसके मद्देनजर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मोटे अनाजों की खूबियों के प्रति आम लोगों एवं किसानों को जागरूक करने के लिए व्यापक रणनीति तैयार की है।
मिलेट्स की खूबियां बताने के लिए कार्यक्रम
राज्य स्तर पर दो दिन की एक कार्यशाला आयोजित की जाएगी। इसमें विषय विशेषज्ञ प्रदेश भर से आए प्रगतिशील किसानों को मोटे अनाज की खेती के उन्नत तरीकों, भंडारण एवं प्रसंस्करण के बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा। जिलों में भी इसी तरह के प्रशिक्षण कर्यक्रम चलेंगे।
खेती को प्रोत्साहन के लिए प्रस्तावित कार्यक्रम
इसी क्रम में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत जिन जिलों (झांसी, हमीरपुर, बांदा, फतेहपुर, जालौन, प्रयागराज, हरदोई, मथुरा, फर्रुखाबाद आदि) में परंपरागत रूप से इनकी खेती होती है उनमें दो दिवसीय किसान मेले आयोजित होंगे। इसमें वैज्ञानिकों के साथ किसानों का सीधा संवाद होगा। खूबियों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए रैलियां आयोजित की जाएंगी। राज्य स्तर पर इनकी खूबियों के प्रचार-प्रसार के लिए दूरदर्शन, आकाशवाणी, एफएम रेडियो, समाचार पत्रों, सार्वजिक स्थानों पर बैनर, पोस्टर के जरिए आक्रामक अभियान भी चलाया जाएगा।
100 ग्राम ज्वार में मिलने वाले पोषक तत्त्व
कोलेस्ट्रॉल-जीरो, कैलोरी- 339, कार्बोहाइड्रेट-74.3 ग्राम, फाइबर 6.3 ग्राम, प्रोटीन 11.3 ग्राम, वसा-3.3 ग्राम, संतृप्त वसा 0.5 ग्राम, मोनोसेचुरेटेड वसा 1.0 ग्राम, पॉलीअनसेचुरेटेड वसा 1.4 ग्राम, ओमेगा -3, फैटी एसिड 65 मिलीग्राम।, ओमेगा -6, फैटी एसिड 1305 मिलीग्राम।
मिलने वाले विटामिन्स मिलीग्राम में
विटामिन बी 1- 0.2
विटामिन बी 2 – 0.1
विटामिन बी 3 – 2.9
विटामिन बी 5 – 0.367
विटामिन बी 6 – 0.443
विटामिन ई – 0.50
कैल्शियम – 28.0
आयरन – 4.4
मैग्नीशियम – 165
फास्फोरस – 287
पोटेशियम – 350
सोडियम – 6.0
जिंक – 1.7
कॉपर – 0.284
सेलेनियम – 12.2
तीन वर्ष में ज्वार की खेती की स्थिति
वर्ष क्षेत्रफल उत्पादन उत्पादकता
2021 1.71 2.70 15.78
2022 2.15 3.40 15.80
2023 2.24 3.54 16.43।